**राधास्वामी! 02-12-2021- आज शाम सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा पाठ:-* *हुई मोहि गुरु चरनन परतीत ।
लगी मेरी छिन छिन उनसे प्रीति॥१॥
जगत की झूठी है सब रीति ।
चलूँ मैं काल करम दल जीत॥२॥
गुरू ने मोपै कीन्ही दया अपार ।
सरन दे भेद बताया सार॥३॥
छुटाया मुझ से जगत असार ।
लिया मोहि अपनी गोद बिठार॥४॥ जिऊँ मैं नित परशादी खाय ।
चरन में अमृत पिऊँ अघाय॥५॥*
करूँ मैं सेवा उमँग उमंग ।
रहूँ नित राधास्वामी चरनन संग॥६॥
सुरत में धरूँ शब्द की प्रीति।
धुनन सँग जोड़ूँ निस दिन चीत॥७॥
बिछाये मन ने जग में जार ।जीव को करती इंद्री ख़्वार॥८॥
जगत में माया डाला शोर ।
गिरे बहुत जोगी मुनि कर ज़ोर॥९॥
संग सतगुरु का कोइ नहिं पाय । 7 सब जम के हाथ विकाय॥१०॥
Mसराहूँ कस कस भाग अपना ।
🤣 किया राधास्वामी मोहि अपना॥११॥
नाम का सोटा दीना हाथ॥१२॥* *
करूँ मैं मन इंद्री को चूर ।
प्रेम गुरु रहा हिये भरपूर॥१३।।
काल का धुर से काटूँ जाल ।
करूँ मैं माया की पामाल॥१४॥
चरन गुरु राखूँ हिरदे धार ।
सरन पर जाऊँ नित बलिहार।।१५।।
9 सजाऊँ आरत रंगा रंग। हिये में बढ़ती आज उमंग।।१६।।
प्रेम की बाती लेउँ बनाय ।
शब्द धुन जोत जगाऊँ आय॥१७॥* *
हरष मन आरत गाऊँ आज ।
दिया राधास्वामी अद्भुत साज॥१८॥
अमी का भोग रखूँ भर थाल । Ñहुए राधास्वामी आज दयाल॥१९॥
शब्द धुन बाजी नभ की ओर । सहसदल परदा डाला तोड़॥२०॥* *
गगन में उठी शब्द की गाज।
सुरत गई त्रिकुटी पाया राज॥२१॥*
*सुन्न में धूम पड़ी पड़ी भारी।
सुनी धुन सारंगी सुन्न सारी॥२२॥*
*भँवर चढ़ मुरली लई बजाय । गई सतपुर में बीन सुनाय॥२३॥* *अलख और अगम को निरखा जाय । दरस राधास्वामी पाया आय॥२४॥* *आरती पूरन कीनी आय । दया राधास्वामी छिन २ पाय॥२५॥(प्रेमबानी-1-शब्द-6- पृ.स.236,237,238, 239)**
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