**राधास्वामी!
06-12-2021-आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा पाठ:-
मन रे चल गुरु के पास ,
घर का भेद लीजे ॥टेक ॥
यह जग है काल देस ।
सच्चे सुख का नहीं लेस ।
घर चल धारो हंस भेस ।
प्रेम रंग भींजे ।।१।।
वह घर है अगम पार
सतगुरु की चलो लार ।
तन मन देव चरनों पै वार ।
नित्त भक्ति कीजे ॥ २ ॥
अबहीं करो सतसंग सार ।
भूल भरम सब देव निकार ।
जल्दी कर नहिं देर धार ।
नित काया बीजे ॥ ३ ॥
गुरु का आदि उपदेश मान ।
चरनन में अब लाओ ध्यान ।
सूरत घट धुन लगान ।
अमृत रस पीजे ॥ ४ ॥
चढ़ चढ़ स्रुत गई पार ।
बीन बाँसुरी धुन सम्हार ।
पहुँची राधास्वामी धाम अपार ।
हरख हरख रीझे ॥ ५ ॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-14-पृ.सं.236,237)**
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