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*हे दयाल सद कृपाल (हिन्दी )-
हे दयाल सद् कृपाल । हम जीवन आधारे॥१॥
सप्रेम प्रीति और भक्ति रीति । वन्दे चरन तुम्हारे ॥२॥
दीन अजान इक चहें दान ।
दीजे दया विचारे॥३॥
कृपा दृष्टि निज मेहर वृष्टि ।
सब पर करो पियारे ॥४॥
संस्कृत हे दयालुः सद् कृपालुः ।
मम जीवनाधारे ॥१॥*
सप्रेम प्रीतिभक्तिरीतिश्च ।
बंदे चरणं तुभ्यम्॥२॥
दीनाज्ञानं एक इष्टं दानं ।
देयम् दयादृष्टिं निःस्वः।।३॥
कृपादृष्टि : निज आशीर्वृष्टिः ।
प्रियवर : सर्वेभ्यो : करणीयं॥४॥◆◆
*राधास्वामी रक्षक जीव के!
(हिन्दी)-
राधास्वामी रक्षक जीव के ,
जीव न जाने भेद ।
गुरु चरित्र जाने नहीं ,
रहे कर्म के खेद ॥
खेद मिटे गुरु दरस से ,
और न कोई उपाय |
सो दर्शन जल्दी मिलें ,
बहुत कहा मैं गाय॥*
*(संस्कृत)-
राधास्वामी रक्षक :
जीवस्य जीवेन न भेदं ज्ञातः॥
गुरुचरित्रं न ज्ञातं कर्मदुःखसंलग्नाः।।
दुःखं दूरं भवेत् गुरुदर्शनेन न को s पि उपायाः।।
तब दर्शनं शीघ्रं भवेत् बहुशः मया कथितम् ।। ◆◆*
*गुरु धरा सीस पर हाथ
(हिन्दी)-
गुरु धरा सीस पर हाथ ।
मन क्यों सोच करे ||
गुरु रक्षा हरदम संग ।
क्यों नहिं धीर धरे ॥
गुरु राखें राखनहार ।
उनसे काज सरे ॥
तेरी करें पच्छ कर प्यार ।
बैरी दूर पड़े ||*
*संस्कृत:-
गुरोर्हस्तविराजितशिरसि ,
व्यर्थचिंता किमर्थं कुर्यात् ।।
गुरुरक्षा प्रतिपल साकं ,
कथं न धैर्य धारयेत् ।।
गुरुरक्षक : रक्षयत्यस्मान् ,
नियंता सत्कार्याणाम् ।।
तवपक्षे स्नेहं कुर्यात् ,
• भवन्तु दूरं वैरिगणाः ।।◆◆*
*तमन्ना यही है (हिन्दी)-
तमन्ना यही है कि जब तक जीऊं । चलूं या फिरूं या कि मेहनत करूं ।। पढूं या लिखूं मुँह से बोलूं कलाम ।
न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम || जो मर्ज़ी तेरी के मुवाफिक न हो ।
रज़ा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो ।।
संस्कृत |
अभिलाषा इयमेव यावत् जीवेम । चलेम भ्रमेम सोद्यमभवेम ।।
पठेम लिखेम सुवाक् वा वदेम न कुर्याम को s पीदृशं कार्यमेव ।। तवेप्सितविरुद्धं च यदपि भवेत् । भवतः स्वीकृत्याः प्रतिकूलं भवेत् ।।◆◆*
*तेरे चरनों में प्यारे ऐ पिता
मुझे ऐसा दृढ विश्वास हो ।
कि मन में मेरे सदा आसरा
तेरी दया व मेहर की आस हो।
चढ़ आये कभी जो
दुख की घटा या
पाप कर्म की होय तपन्त।
तेरा नाम रहे मेरे चित्त बसा
तेरी दया व मेहर की आस हो।।*
यह काम जो हमने है सिर लिया
करें मिलके हम तेरे बाल सब।
तेरा हाथ हम पर रहे बना
तेरी दया व मेहर की आस हो।।*
तेरे चरनों में प्यारे ऐ पिता
मुझे ऐसा दृढ विश्वास हो।
कि मन में मेरे सदा आसरा
तेरी दया व मेहर की आस हो।।
संस्कृत:-* *
तव चरणयो :
प्रिय : हे पितः !
मम ईदृशदृढ़ विश्वास भव यत् मनसि मम सर्वदा सहायः ।
तव मेहरदययोः विश्वासः भव ।।
आरुह्य कदापि यत् दुःखस्य घटा
वा पापकर्मण : ज्वलनम् भव ।।
तव नाम भव मम चितावासः ।
तब मेहरदययोः विश्वासः भव ।।
कार्यमेतत् अस्माभिः शिरसि धृतम् ।
कुर्मः मिलित्वा तव बालाः वयम् ।।
तव हस्तयोःअस्मासु सर्वदा भव तव मेहरदययोः विश्वासः भव ।।◆◆*
*मेरे तो राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।
सबके तो राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।। मेरे तो, तेरे तो, सबके तो राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।। राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफल कर ले।।
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफलतर कर ले।।*
*राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफलतम कर ले।।**
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