*राधास्वामी!
30-12-2021-आज सुबह सतस़ग में पढ़ा जाने वाला दूसरा पाठ:- भोग बासना मन में धरी ।
मोसे सतसँग किया न जाय ॥टेक ॥
मैं चाहूँ छोड़ भोगन को ।
देख भोग मन अति ललचाय ॥ १ ॥
सतसँग बचन सुनूँ मैं कैसे ।
मन रहे अनेक तरंग उठाय ॥ २ ॥
चित चंचल मेरा चहुँ दिस धावे ।
सुरत शब्द में नहिं ठहराय ॥३।।।
निरभय होय भरमै संसारा ।
नई कामना नित्त जगाय ॥ ४।।
बिन राधास्वामी अब कोइ नहिं मेरा।
जो यह बेड़ा पार लगाय।।५।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-3- पृ.सं.260,261)*
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