**राधास्वामी!
31-12-2021-आज शाम सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा पाठ:-
चरन गुरु मनुआँ लागा री ।
मोह जग छिन में त्यागा री ॥ १ ॥
खोजता धावत आया री।
संग गुरु पूरे पाया री ॥ २ ।।
बचन सुन भजन कमाया री |
हिये में नाम जगाया री ॥ ३ ॥
प्रीति गुरु चरन बढ़ाया री ।
सुरत मन अधर चढ़ाया री।।४।।
काल और करम हटाया री ।
पाप और पुन्न नसाया जोत री ॥ ५ ॥
सहसदल जोत जगाया री ।
गगन धुन गरज सुनाया री ॥ ६ ॥
सुन्न चढ़ बेनी न्हाया री |
गुफा चढ़ सोहँग गाया री ॥ ७ ।।
सत्तपुर पुरुष मनाया री।
बीन धुन अधर बजाया री ॥८ ॥
अलख और अगम धाया री ।
दरश राधास्वामी पाया री ॥९ ॥
प्रेम अंग आरत गाया री ।
अनामी पुरुष रिझाया री।।१०।।
धाम यह कोई न पाया री।
काल ने जग भरमाया री।।११।।
तीन गुन देव पुजाया री ।
जीव सब दुख सुख पाया री ॥ १२ ॥
ख़बर निज घर नहिं पाया री ।
संत विन कौन जनाया री ॥ १३ ॥
बड़ा मेरा भाग सुहाया री ।
सरन राधास्वामी आया री।।१४ ।।
दया कर भेद बताया री ।
मेहर से घर पहुँचाया री ॥१५ ॥
कहाँ लग महिमा गाया री ।
चरन में सीस नवाया री ॥ १६ ॥
दया गुरु काज बनाया री।
उलट राधास्वामी ध्याया री।।१७।।
(प्रेमबानी-1-शब्द-20- पृ.सं.269,270,271)**
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