एक समय था जब हर कोई ‘गो ग्लोबल’ के नारे लगाता था लेकिन देश में आयी डिजिटल क्रांति और करोना काल ने ना सिर्फ लोगों को लोकल की वैल्यू समझा दी बल्कि इस सच्चाई से भी अवगत करा दिया कि अब भविष्य ग्लोबल का नहीं बल्कि लोकल का है। आज बहुत सारे एंटरप्रेन्योर हैं जो अपने स्टार्टअप के जरिये लोकल मार्केट और वहाँ रह रहे लोगो के बीच की कनेक्टिविटी और बेहतर हो सके, इस पर काम कर रहे है… संजय तिवारी भी ऐसे ही एक एंटरप्रेन्योर हैं जो लोकल रिपोर्टर और पब्लिशर को टेक्निकल, कंटेंट और रिवेंयू स्पोर्ट दे कर उन्हें अपनी वेबसाईट खड़ी करने में हेल्प कर रहे हैं.
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