**राधास्वामी!
12-12-2021-आज शाम सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा पाठ:-
दरश गुरु देखत हुई निहाल ।
बचन गुरु सुनत हुई खुशहाल ॥ १ ॥ सुनत गुरु महिमा बाढ़ा भाव ।
देख निज सतसँग बाढ़ा चाव ॥ २ ॥
प्रीति अब घट में जाग रही ।
जगत की लज्जा त्याग दई ॥ ३ ॥ कोई कुछ कहवे मन नहिं मान ।
सरन गुरु चरनन गही निदान ॥ ४ ॥
उमँग मन गुरु सेवा नित लाग ।
हुई गुरु किरपा जागा भाग ॥ ५ ॥
भेद गुरु दीना मोहि बताय् ।
शब्द में सूरत छिन छिन लाय ॥ ६ ॥
रूप गुरु हिये गुरु हिये अंतर धरना ।
काम और क्रोध लोभ तजना ॥ ७ ॥
नाम धुन मन से पल पल गाय ।
चित्त में दृढ़ परतीत बसाय ॥ ८ ।।
करो नित सतसँग मन को रोक ।
पाये तब सूरत शब्द संजोग ॥ ९ ॥
बचन गुरु हिरदे में धरती ।
शब्द की करनी नित करती ॥१० ॥
प्रेम रँग घट में लागा आय ।
कहूँ कस महिमा राधास्वामी गाय ॥ ११ ॥
जीव सब करम भरम भूले |
काल और माया सँग झूलें ॥ १२ ॥
कौन कहे उनको यह समझाय ।
बिना गुरु सब रहे धोखा खाय || १३ ||
शब्द बिन सुरत न जावे पार ।
गुरु बिन मिले न सत दीदार ॥१४ ॥
गुरू ने मेरा दीना भाग जगाय ।
सरन दे मुझको लिया अपनाय ॥ १५ ॥
प्रेम सँग गुरु आरत करती ।
उमँग नित हिये अंतर बढ़ती ॥१६ ॥
सुरत मेरी गगन ओर चढ़ती ।
शब्द में सूरत नित भरती ॥ १७ ॥
हुए राधास्वामी आज दयाल ।
शब्द घट जागा पाया हाल ॥१८ ॥
रहूँ मैं निस दिन महिमा गाय ।
चरन में राधास्वामी जाऊँ समाय ॥१९ ॥
(प्रेमबानी-1-शब्द-10- पृ.सं.248,249,250)*
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