Saturday, November 6, 2010

महाश्वेता का 'हिंदुस्तान' में कालम लिखने से इनकार

महाश्वेता का 'हिंदुस्तान' में कालम लिखने से इनकार

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वरिष्ठ पत्रकारों को निकाले जाने से खफा हैं महाश्वेता शोभना भरतिया को पत्र लिख छंटनी के तरीके पर आपत्ति जताई : हिंदी की प्रख्यात लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट महाश्वेता देवी ने हिंदुस्तान अखबार में स्तंभ लिखना बंद करने का फैसला किया है. इस बारे में उन्होंने हिंदुस्तान और हिंदुस्तान टाइम्स को संचालित करने वाली कंपनियों की चेयरपर्सन शोभना भरतिया को पत्र लिखा है.
पत्र में महाश्वेता देवी ने कहा है कि हिंदुस्तान में हाल के दिनों में जिस तरह से प्रमोद जोशी और अरुण त्रिपाठी जैसे सीनियर जर्नलिस्टों को निर्ममतापूर्वक-असम्मानजनक तरीके से निकाला गया है, वह काफी दुखदायी है. ऐसी स्थिति में वे हिंदुस्तान अखबार में स्तंभ नहीं लिख सकतीं.
महाश्वेता देवी ने पत्र में यह भी याद दिलाया है कि उन्होंने हिंदुस्तान अखबार में कालम लिखना तत्कालीन मुख्य संपादक मृणाल पांडेय के अनुरोध पर शुरू किया और कालम लिखते उन्हें चार साल हो गए. पर जब उन्हें पता चला कि हिंदुस्तान में कई वरिष्ठ पत्रकारों को अचानक निकाल दिया गया तो उन्होंने कालम न लिखने का फैसला किया है. महाश्वेता देवी ने शोभना भरतिया को पत्र में कहा है कि वरिष्ठ पत्रकार को असम्मानजनक तरीके से निकाले जाने जैसी घटनाओं से उनकी ही कंपनी की छवि खराब होती है.
उल्लेखनीय है कि मशहूर लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट महाश्वेता देवी हिंदुस्तान अखबार में प्रत्येक रविवार को परख नामक कालम लिखती हैं. उनका लिखा यह कालम आनंद बाजार पत्रिका भी बांग्ला में प्रकाशित करता है. इस कालम में महाश्वेता देश-समाज-जन के मुद्दों पर अपनी बात बेबाक तरीके से रखती-लिखती हैं. कुछ महीनों पहले उन्होंने इसी कालम में वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह को भारतीय डाक, चिट्ठियों के इतिहास, डाकियों पर केंद्रित किताब लिखने के लिए बधाई दी थी और पत्रों के घटते चलन को एक गंभीर सांस्कृतिक खतरा बताया था. अरविंद पर केंद्रित महाश्वेता देवी के उस कालम को भड़ास4मीडिया पर भी प्रकाशित गया था, 'अरविंद को महाश्वेता देवी ने दी बधाई' शीर्षक से. कह सकते हैं कि हिंदुस्तान अखबार में पिछले कुछ वर्षों से जो कुछ चल रहा है, उस कुकृत्य की चर्चा अब मीडिया जगत के बाहर भी होने लगी है और महाश्वेता देवी जैसी लेखिका के प्रतिष्ठित कालम से हिंदुस्तान अखबार को हाथ धोना पड़ रहा है.  कल हिंदुस्तान अखबार में महाश्वेता देवी का परख कालम देखने को नहीं मिलेगा. शोभना भरतिया को लिखा महाश्वेता देवी के पत्र की एक प्रति भड़ास4मीडिया के पास भी है जिसे हम यहां हूबहू प्रकाशित कर रहे हैं.
Comments (2)Add Comment
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written by अनिल यादव, November 06, 2010
आपकी नौकरी रहे न रहे। आप भाड़ में जाएं या भड़भूजे के चम्मच उर्फ भूनन-दंड हो जाएं- इस संवेदनहीन रवैये वाले दौर में महाश्वेता आश्वस्त करती हैं कि आदमियत और वाजिब की पक्षधऱता हमेशा रहेगी। उन्हें प्रणाम और बधाई।
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written by jyitiprakash, November 06, 2010
इसमें कोई दो राय नहीं कि महाश्वेता देवी के कालम के कारण हिंदुस्तान की प्रतिष्ठा बढ़ती थी लेकिन यदि उन्होंने स्तंभ लिखना बंद किया है तो इसके लिए मौजूदा संपादक शशिशेखर ही दोषी हैं। वे जिस भी अखबार में जाते हैं, इसी तरह तानाशाही कायम करते हैं और विचारवान लोगों को हटा देते हैं। उनके यहां विचार की कोई जगह नहीं। जब वे अमर उजाला में थे तो यही किया। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उस अखबार को सांप्रदायिक बना दिया। भारतीय प्रेस परिषद ने भी इस कारण उन्हें दोषी ठहराया। ऐसे सांप्रदायिक, बल्कि अपराधी किस्म के व्यक्ति को हिन्दुस्तान मैनेजमेंट क्यों बर्दाश्त कर रहा है? महाश्वेता दीदी ने इस मामले पर जिस तरह स्टैंड लिया है, क्या हिन्दी के लेखक इससे कुछ सबक लेंगे? ---ज्योति प्रकाश, पटना

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