● ~~~~~~~~~~~~~ उमाशंकर सिंह परमार
नारद और इन्द्र सोमरस के "सरकारी ठेके" मे बैठकर सोम की तरंग में झूम रहे थे । इन्द्र ने सोम के दो पैग बनाये देवर्षि नारद ने चखना मुँह में रखते हुए कहा हे पुरन्दर मर्त्यलोक में इस समय ब्राम्हणों का रहना दुष्कर होता जा रहा है । इतिहास का अवैध खनन करके सौ साल पहले की लाशों को जिन्दा कर पुराने कर्मों पर नई एफाईआर की जा रही है । देवराज इन्द्र ने पैग बढ़ाते हुए कहा हे देवर्षि आप पैग चढाईए , यह नई बात नही है । सतयुग में जब धर्म के चार पैर थे विश्वामित्र ने वशिष्ठ को धमकाया था । गौतम ऋषि को मैने और चन्द्रमा भाई ने लपेटे मे ले लिया था। राजा प्रताप भानु ने धोखे से ब्राम्हणों को मांस भक्षण करा दिया था । जब धर्म के चार पैर थे तब भी ब्राम्हणों के साथ अधर्म हुआ । त्रेता में जब धर्म तीन पैर थे तब दशरथ ने बिन कारण श्रवण कुमार को मार दिया रावण से कुछ उम्मीद बनी थी लेकिन राम ने दुनिया भर के भालू बानर इकट्ठा कर रावण को गोलोक भेज दिया । तीन पैर युग में भी ब्राम्हणों का उत्पीड़न हुआ । द्वापर में जब धर्म के दो पैर थे तब तो ब्राम्हणों को गाज़र मूली समझकर हर ऐरे गैरे ने शोषण किया ।भीष्म ने परसुराम को हराया , पाण्डु ने रतिमग्न ऋषि जोडे का संहार किया। व्यास जी ने नियोग किया फिर भी हस्तिनापुर में एक इंच जमीन नही मिली । धृष्टधुम्न ने द्रोण को मारा , भीम पुत्र घटोत्कच की माँ हिडिम्बा ब्राम्हणों की बलि देती थी । श्रीकृष्ण ने अश्ववत्थामा की मणि छीन ली । कृपाचार्य वनवन भटकते रहे ।अब तो कलियुग है धर्म का एक ही पैर है इसलिए जो उस समय उत्पीड़न से बच गये थे उनको फिर खोजकर निकाला जायेगा । द्वापर में एकलव्य आ गये , त्रेता में शम्बूक आ गये , सतयुग में महिषासुर मिल गये । वैद्यनाथ मिश्रा पर पाक्सो लगते लगते बचा , और अब शुकुल जी पर दंगा फसाद का मुकदमा चलाया जायेगा....
नारद बोले हे पुरन्दर आपने मेरे ज्ञानचक्षु खोल दिये , और इतना कहकर नारद लुढ़क गये ।
2
नारद पुराण 3
● ~~~~~~~
नारद और इन्द्र सोमरस के "सरकारी ठेके" मे बैठकर सोम की तरंग में झूम रहे थे । इन्द्र ने सोम के दो पैग बनाये देवर्षि नारद ने चखना मुँह में रखते हुए कहा हे पुरन्दर मर्त्यलोक में इस समय ब्राम्हणों का रहना दुष्कर होता जा रहा है । इतिहास का अवैध खनन करके सौ साल पहले की लाशों को जिन्दा कर पुराने कर्मों पर नई एफाईआर की जा रही है । देवराज इन्द्र ने पैग बढ़ाते हुए कहा हे देवर्षि आप पैग चढाईए , यह नई बात नही है । सतयुग में जब धर्म के चार पैर थे विश्वामित्र ने वशिष्ठ को धमकाया था । गौतम ऋषि को मैने और चन्द्रमा भाई ने लपेटे मे ले लिया था। राजा प्रताप भानु ने धोखे से ब्राम्हणों को मांस भक्षण करा दिया था । जब धर्म के चार पैर थे तब भी ब्राम्हणों के साथ अधर्म हुआ । त्रेता में जब धर्म तीन पैर थे तब दशरथ ने बिन कारण श्रवण कुमार को मार दिया रावण से कुछ उम्मीद बनी थी लेकिन राम ने दुनिया भर के भालू बानर इकट्ठा कर रावण को गोलोक भेज दिया । तीन पैर युग में भी ब्राम्हणों का उत्पीड़न हुआ । द्वापर में जब धर्म के दो पैर थे तब तो ब्राम्हणों को गाज़र मूली समझकर हर ऐरे गैरे ने शोषण किया ।भीष्म ने परसुराम को हराया , पाण्डु ने रतिमग्न ऋषि जोडे का संहार किया। व्यास जी ने नियोग किया फिर भी हस्तिनापुर में एक इंच जमीन नही मिली । धृष्टधुम्न ने द्रोण को मारा , भीम पुत्र घटोत्कच की माँ हिडिम्बा ब्राम्हणों की बलि देती थी । श्रीकृष्ण ने अश्ववत्थामा की मणि छीन ली । कृपाचार्य वनवन भटकते रहे ।अब तो कलियुग है धर्म का एक ही पैर है इसलिए जो उस समय उत्पीड़न से बच गये थे उनको फिर खोजकर निकाला जायेगा । द्वापर में एकलव्य आ गये , त्रेता में शम्बूक आ गये , सतयुग में महिषासुर मिल गये । वैद्यनाथ मिश्रा पर पाक्सो लगते लगते बचा , और अब शुकुल जी पर दंगा फसाद का मुकदमा चलाया जायेगा....
नारद बोले हे पुरन्दर आपने मेरे ज्ञानचक्षु खोल दिये , और इतना कहकर नारद लुढ़क गये ।
No comments:
Post a Comment