Saturday, June 27, 2020

संसार चक्र प्रेमपत्र रोजाना वाक्यात





राधास्वामी!! 28-06-2020-

आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-                           

(1) मन तू करले हिये धर प्यार। राधास्वामी नाम का आधार।। (प्रेमबानी-4-शब्द-8,पृ.सं.75)                                                     

 (2) आज भींजे सुरत गुरू पेम रंग।।टेक।। (प्रेमबानी-2-शब्द-66,पृ.सं.332)- सतसंग के बाद पढे गये पाठ-                               

(1) हे गुरू मैं तेरे दीदार का आशिक जो हुआ। मन से बेजार सुरत वार के दीवाना हुआ।। (सारबचन-गजल पहली-पृ.सं.424)   

(2) क्यूँ कर करूँ शुकराने मैं उनके। फिर फिर शुकराने करते है।।                             

(3) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ।
चलूँ या फिरु यि कि मेहनत करूँ।।
पढूँ या लिखूँ मुहँ से बोलू कलाम।
न बन आये मूझसे कोई ऐसा काम।।
जो मर्जी तेरी के मुवाफिक न हो।
 रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।।

नोट:-सभी पाठ विद्यार्थियों द्वारा पढे गये।।                 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**





 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

 रोजाना वाकिआत- 12 नवंबर 1932-
शनिवार

-सुबह 6:30 बजे से सत्संग हुआ। और 9:00 बजे से 10:30 बजे तक कुछ लोगों के सवालों के जवाबात दिये गये। एक साहब ने कहा आजकल नौजवान फ्रॉयड की फिलास्फी पढ़कर ईश्वर व परमार्थ से लापरवाह हो रहे हैं। इसका निवारण करना चाहिए ।

जब तक हिंदुस्तानी नौजवानों के दिलों पर मगरिब की तहजीब का सिक्का बैठा हुआ है उन्हें मगरिब की हर बात सही मालूम होगी और हिंदुस्तान की हर बार गलत या कम से कम उग्र। जैसे फ्रॉयड महज अपने ख्यालात का प्रचार करता है ऐसे ही सत्संग भी अपनी तालीम का प्रचार करता है ।

फ्रॉयड को सत्संग से कोई खास द्वेष नहीं है और न सतसंग को उससे कोई वास्ता।  दोनों अपना काम कर रहे हैं। जिसको जिस की तालीम पसंद आवे उसमें आस्था लावे।।                                       
  2:30 बजे से नुमाइशगाह में भीड़ शुरू हो गई। ठीक 3:00 बजे सर कोर्टनी टैरेल तशरीफ लाये और कुछ मिनट के बाद जलसा की कार्रवाई शुरू हो गई।  अंदाजन 4000 मर्द व औरत मौजूद थे लेकिन खामोशी का आलम कि सुई गिरने की आवाज सुनाई देती थी । बैंड बजा।कमेटी के मेम्बरों ने हाथ मिलाया । सर कोर्टनी का मुझसे और मेरा उनसे परिचय कराया गया। डायस पर बैठे। सर कोर्टनी को नुमाइश कमेटी की जानिब से हार पहनाया गया और मिस्टर सिन्हा ने स्वागत समंबधी स्पीच शुरु की।

पहले आपने अपने सतसंग से पुराने तालुकात का जिक्र किया। हुजूर महाराज व महाराज साहब से मुलाकातो का जिक्र करके सरकार साहब से खानदानी रिश्ते का हाल दिल खोलकर बताया और फिर दिल खोलकर दयालबाग की तारीफ की।

क्रमश: 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**





 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

【 संसार चक्र 】-

कल से आगे:-(तीसरा दृश्य)-

( राजा दुलारेलाल, इंदुमती और गोवर्धन पंडित गौशाला में जाते हैं।)   

                                                
दुलारेलाल- इंदुमती से बस यही है इनकी गौशाला तीन गाय और बछड़ी?

 ( गोवर्धन पंडित इजाजत लेकर पेशाब करने जाता है और एक नौजवान लड़का सामने से गुजरता है।)   

  दुलारेलाल -भाई लड़के! इधर आओ।       

लड़का- क्या कहते हो?                           

  दुलारेलाल- तुम कहां रहते हो?  ये गायें किसकी है?

लड़का -मैं पंडित जी का नौकर हूं , ये गायें पंडित जी की हैं।  दुलारेलाल- इनका दूध कौन पीता है?

लड़का पंडित जी।

दुलारेलाल- पंडित जी तो कहते थे कि वह दूध नहीं पीते?

  लड़का- हां वह दूध नहीं पीते, मलाई खाते हैं।

दुलारेलाल - क्या पंडित जी फल नहीं खाते?


लडका- 108 बादाम रोज खाते हैं, हरे फल यहाँ धरे ही कहां है ?

 इंदुमती-मालूम होता है हम ठगों के पाले पड़ गये।

 लडका- क्या हुआ?

इन्दुमति- कुछ नहीं।

लड़का-  जरा पंडित जी से अपने आप को दूर ही रखना।
 दुलारेलाल-क्यों?

 लडका-इस वक्त न पूछो रात को तुम्हारे पास आ कर सब हाल बता दूंगा।

(इतने में गोवर्धन पंडित वापस आ जाता है।)

 गोवर्धन- आइए चलिए- आपको डेरे पर छोड आऊं । देखों महाराज! मेरी बातों का बुरा ना मानना , कभी-कभी लोगों को मेरी बातें कडवी मालूम होती है पल मैं कहता हूं सदा सबके भले ही की।।

दुलारेलाल- बस अब ज्यादा बातें न मिलाईये, चुपचाप डेरे पर चलिये।

गोवर्धन-ओ हो! महाराज इतना कोप? अ भी तो अंग्रेजों का राज है, आपका राज नहीं है।

(डेरे के नजदीक पहुँच कर)

दुलारेलाल पंडित जी अब आप जाइए हम आराम करेंगे।
गोवर्धन -तो मैं आपका आराम तो नहीं छीनता। आपकी सेवा ही करता हूँ, आपसे कुछ मांगता नहीं हूँ।

दुलारेलाल-( जरा बिगडकर) अब आप चले जाइए।

 गोवर्धनस  ( सख्त नाराज होकर) मैं नहीं जाऊँगा, घर हमारा है या तुम्हारा ?  ज्यादा बकबक लगाओगे तो मार के डंकपाल फोड दूँगा। कहां का नवाब है ,लिये फिरता है संग संग लुगाई को।

( दुलारेलाल अपने नौकर को आवाज देता है।)

 गोविंद- हुजूर! अभी लाया। (तलवार ले आता  है और दुलारे लाल के हाथ में थमा देता है।)

दुलारेलाल- कहो तो क्या कहते थे ?

गोवर्धन-कहता क्या था? निकलो घर से बाहर, यहां आकर बदमाशियाँ करना चाहते हो? आइयो रे लोगो! यह दुषँट ब्रह्महत्या किया चाहता है।

दुलारेलाल- हरामजादे बदमाश- अभी ब्रह्मण का बच्चा बनता था, दान पुण्य की सलाह देता था,  अब ये बातें बनाता है। चखाता हूँ तुझे जबाँदराजी का मजा।
( इतने में कुछ लोग जमा हो जाते हैं ।)

  एक शख्स -लानत है तेरे यात्री होने पर जो ब्राह्मण पर तलवार उठाता है ।

दूसरा शख्स- अरे बताओ तो सही, क्या हुआ?

गोवर्धन- हुआ क्या बातों बातों मैने पता लगा लिया कि वह यह शख्स किसी की लुगाई भगा कर लाया है, अब मेरे पर इसका गुस्सा निकालता है।

( दुलारेलाल म्यान से तलवार निकालने लगता है ,रानी इंदुमती हाथ रोक लेती है)

 इंदुमती - यहाँ परदेश का मामला है, चलो  ऊपर चलो ।

(दुलारेलाल, इंदुमती और गोविंद ऊपर चले जाते हैं ।गोवर्धन पंडित दरवाजे पर बैठ जाता है।)

गोवर्धन -(मन ही मन में ) साले अभी क्या कहता है, देखना क्या-क्या तमाशे दिखाता हूँ

क्रमशः         

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**





**परम गुरु हुजूर महाराज -

प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे-(7)

ऊपर की लिखी हुई हालत किसी अभ्यासी सत्संगी को एक या 2 वर्ष के अभ्यास के बाद मालूम पड़े, तो फिर इससे ज्यादा और सबूत दया और तरक्की का क्या चाहिए?  असल मतलब राधास्वामी मत और उसकी जुगती के अभ्यास का यह है कि दुनियाँ की मोहब्बत और चाह दिन दिन कम होवे और मन और सूरत सिमटकर किसी कदर ऊपर की तरफ चढने लगें और अंतर में थोड़ा बहुत रस लेने लगे , क्योंकि बगैर सिमटाव और चढ़ाई के हालत मन और इंद्रियों की कभी नहीं बदल सकती है।।                                               

   ( 8) पर मालूम होगा कि कुल मालिक राधास्वामी दयाल अंतर्यामी सबके हाल और ताकत को खूब जानते हैं और उसके गृहस्थी कारोबार और रोजगार की संभाल के साथ जिस कदर उसकी ताकत हाजमे की देखते हैं, उसी कदर उसके मन और सुरत का सिमटाव और चढाई आहिस्ता आहिस्ता करते जाते हैं।

जो कोई जल्दी के वास्ते अर्ज या फरियाद करें और उस जल्दी में उसके किसी कारोबार का हर्ज या जिस्मानी तकलीफ का अंदेशा है तो ऐसी अर्ज या फरियाद को फौरन नहीं सुनते, पर आहिस्ता आहिस्ता मुनासिब वक्त पर उसको बख्शिश जरूर देंगे, और उसके साथ ताकत हाजमा की भी बख्शेंगे।

एकाएक दया होने मेंआदमी मस्त और बेहोश होकर और दुनियाँ  के कारोबार और परिवार को बिल्कुल छोड़कर, मस्त फकीरों के माफिक परेशान फिरता फिरेगा और अपनी आइंदा की तरक्की को आप बंद कर देगा, क्योंकि ऐसी हालत में फिर दुरुस्ती से अभ्यास नहीं बन पड़ेगा और इस वास्ते तरक्की बंद हो जाएगी।
क्रमश:.           
🙏🏻

राधास्वामी🙏🏻**


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