Sunday, June 28, 2020

नर- नारी और विज्ञान





*स्त्री-पुरुष और विज्ञान*🏹
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       _मैंने एक दिन अपनी पत्नी से पूछा- क्या तुम्हे बुरा नहीं लगता मैं बार-बार तुमको बोल देता हूँ, डाँट देता हूँ फिर भी तुम पति भक्ति में लगी रहती हो जबकि मैं कभी पत्नी भक्त बनने का प्रयास नहीं करता?_

       _मैं विज्ञान का विद्यार्थी हूँ और मेरी पत्नी संस्कृत और कला वर्ग की, उसकी आध्यात्मिक शक्तियाँ मुझसे कई गुना ज्यादा हैं क्योंकि मैं केवल पढता हूँ और वो जीवन में उसका पालन करती है।_

       _मेरे प्रश्न पर जरा वो हँसी और बोली- कि ये बताइए एक पुत्र यदि माता की भक्ति करता है तो उसे मातृ-भक्त कहा जाता है परन्तु माता यदि पुत्र की कितनी भी सेवा करे उसे पुत्र-भक्त तो नहीं कहा जा सकता न।_

       _मैं सोच रहा था आज पुनः ये मुझे निरुत्तर करेगी। मैंने प्रश्न किया ये बताओ जब जीवन का प्रारम्भ हुआ तो पुरुष और स्त्री समान थे फिर पुरुष बड़ा कैसे हो गया जबकि स्त्री तो शक्ति का स्वरूप होती है?_

       _मुस्काते हुए उसने कहा- आपको विज्ञान सही से पढ़नी चाहिए थी..._

       _मैं झेंप गया उसने कहना प्रारम्भ किया.... दुनिया मात्र दो वस्तु से निर्मित है ऊर्जा और पदार्थ, *पुरुष ऊर्जा का प्रतीक है और स्त्री पदार्थ की।* पदार्थ को यदि विकसित होना हो तो वह ऊर्जा का आधान करता है, ना की ऊर्जा पदार्थ का। ठीक इसी प्रकार जब एक स्त्री एक पुरुष का आधान करती है तो शक्ति स्वरूप हो जाती है और आने वाले पीढ़ियों अर्थात् अपने संतानों के लिए प्रथम पूज्या हो जाती है क्योंकि वह पदार्थ और ऊर्जा दोनों की स्वामिनी होती है जबकि पुरुष मात्र ऊर्जा का ही अंश रह जाता है।_

       _मैंने पुनः कहा तब तो तुम मेरी भी पूज्य हो गई न क्योंकि तुम तो *ऊर्जा और पदार्थ दोनों की स्वामिनी हो?*_

       _अब उसने झेंपते हुए कहा आप भी पढ़े लिखे मूर्खो जैसे बात करते हैं आपकी ऊर्जा का अंश मैंने ग्रहण किया और शक्तिशाली हो गई तो क्या उस शक्ति का प्रयोग आप पर ही करूँ ये तो कृतघ्नता हो जाएगी।_

       _मैंने कहा मैं तो तुम पर शक्ति का प्रयोग करता हूँ फिर तुम क्यों नहीं?_

       _उसका उत्तर सुन मेरे आँखों में आँसू आ गए............उसने कहा..... जिसके संसर्ग मात्र से मुझमें जीवन उत्पन्न करने की क्षमता आ गई और ईश्वर से भी ऊँचा जो पद आपने मुझे प्रदान किया *जिसे माता कहते हैं* उसके साथ मैं विद्रोह नहीं कर सकती।
फिर मुझे चिढ़ाते हुए उसने कहा कि यदि शक्ति प्रयोग करना भी होगा तो मुझे क्या ?
*मैं तो माता सीता की भाँति लव-कुश तैयार कर दूँगी जो आपसे मेरा हिसाब-किताब कर लेंगे।*_

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*या देवी सर्व भूतेषु*
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