एम एम चन्द्रा की फेसबुक वाल से साभार ~
अविद्या
एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा की बीरबल यह अविद्या क्या है? बीरबल ने बोला कि आप मुझे 4 दिन की छुट्टी दे दो फिर मै आपको बताऊंगा ! अकबर राजी हो गया और उसने चार दिनों की छुट्टी दे दी!
बीरबल मोची के पास गया और बोला कि भाई जूती बना दो,
मोची ने नाप पूछी तो बीरबल ने बोला भैया ये नाप वाप कुछ नहीं डेढ़ फुट लंबी और एक बित्ता चौड़ी बना दो, और इसमें हीरे जवाहरात जड देना सोने और चांदी के तारों से सिलाई कर देना और हाँ पैसे वैसे चिंता मत करना जितना मांगोगे उतना मिलेगा तो मोची ने भी कहा ठीक है भैया तीसरे दिन ले लेना !
तीसरे दिन जूती मिली,
अब बीरबल ने एक जूती अपने पास रख ली और दूसरी मस्जिद में फेंक दी जब सुबह मौलवी साहब नमाज पढ़ने (बाँग देने ) के लिए मस्जिद गए तो मौलवी को वो जूती वहां पर मिली मौलवी ने सोचा यह जूती किसी इंसान की तो हो नहीं सकती जरूर अल्लाह नमाज पढ़ने आया होगा और उसकी छूट गई होगी तो उसने वह जूती अपने सर पर रखी, मत्थे में लगाई और खूब जूती को चाँटा क्यों कि वह जूती अल्लाह की थी ना 😂😂
वहां मौजूद सभी लोगों को दिखाया सब लोग बोलने लगे कि हां भाई यह जूती तो अल्लाह की रह गई उन्होंने भी उसको सर पर रखा और खूब चाँटा यह बात अकबर तक गई अकबर ने बोला, मुझे भी दिखाओ अकबर ने देखा और बोला यह तो अल्लाह की ही जूती है उसने भी उसे खूब चाँटा सर पर रखा और बोला इसे मस्जिद में ही अच्छी तरह अच्छे स्थान पर रख दो !
बीरबल की छुट्टी समाप्त हुई, वह आया बादशाह को सलाम ठोका और उतरा हुआ मुंह लेकर खड़ा हो गया अब अकबर ने बीरबल से पूछा कि क्या हो गया मुंह क्यों 10 कोने का बना रखा है तो बीरबल ने कहा अरे राजा साहब हमारे यहां चोरी हो गई अकबर ने बोला कि क्या चोरी हो गया बीरबल ने उत्तर दिया कि अरे हमारे पर दादा की जूती थी चोर एक जूती उठा ले गया एक बची है, तो अकबर ने पूछा कि क्या एक जूती तुम्हारे पास ही है बीरबल ने कहा जी मेरे पास ही है उसने वह जूती अकबर को दिखाई अकबर का माथा ठनका और उसने मस्जिद से दूसरी जूती मंगाई और बोला *या अल्लाह मैंने तो सोचा कि यह जूती अल्लाह की है मैंने तो इसे चाँट चाँट के चिकनी बना डाली,*
बीरबल ने कहा राजा साहब यही है अविद्या।
यह कहानी कुछ विशेष ~~ मूर्ती पूजकों , अन्ध भक्तों ,धार्मिक दलालों और समाज के ठेकेदार
चमचों पर बिल्कुल सही बैठती है । पता कुछ भी नहीं और भेड़ चाल में चले जा रहे है।अतः दिमाग की बत्ती जलाकर रोशनी कर समाज को नई दिशा में ले जाएं।
Suren Puri सर की वाल से।
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