**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
रोजाना वाकिआत- 11नवम्बर 1932-
करीब 4 बजे बक्सर आया। वहाँ आँख खुली। यहाँ भी सतसंंगी मौजूद थे। गाजीपुर, बनारस से बहुत से भाई पटना जा रहे है। फिर आरा का स्टेशन आया। यहँ भी काफी मजमा था आखिर ठीक 6 बजे पटना जंक्शन स्टेशन आया। सैकंडो सतसंगी मौजूद थे।
C मिस्टर अब्दुल बैरिस्टर एट लाँ के दिलकुशा नामी हाउस में कयाम है। मकान निहायत साफ सुथरा व खूब सजा धजा है। मकान के सामने निहायत खूबसूरत और विस्तृत लॉन है। मकान की सफाई और लॉन की विस्तार देखकर बैरिस्टर साहब के दिये बैरिस्टर साहब के दिल की सफाई और वुस्अत का अंदाजा हो सकता है। बैरिस्टर साहब इन दिनों सरकारी काम से दिल्ली गए हैं।
वहां रहते हुए भी आपको मेहमानों की खातिर तवज्जो की फिक्र है। आपने लिखा है कि जिस वक्त यह कोठी बनवाई गई थी ख्याल होता था कि व्यर्थ इतना रुपया खर्च किया गया लेकिन अब देख कर किया कोटी किस किस हस्ती के लिए उपयोगी हुई है दिल गवाही देता है कि रुपए का बेहतरीन इस्तेमाल हुआ। अगर इस तरह का विचार वाला व्यक्ति पटना में सर्वप्रिय हो तो कोई ताज्जुब की बात नहीं।
शाम के वक्त मिस्टर सिन्हा से मुलाकात की। मिस्टर सिन्हा उधर से दिलकुशा के लिए रवाना हुए इधर से मैं भी अपनी कोठी के लिए निकला। रास्ते में मुलाकात हुई अब अगर इत्तेफाक सहमति से उनकी कोठी पर पहुंचते।। मिस्टर सिन्हा अत्यधिक प्रेम मोहब्बत से पेश आये। करीब 1 घंटा विभिन्न विषयों पर बातें होती रही। मिस्टर सिन्हा की उम्र 63 साल के करीब है लेकिन आपकी याद बहुत अच्छी है। शकल से 55 बरस उम्र मालूम होती है।
V पटना के बहुत से आला अहलकार देखे लेकिन आम तौर उनकी सेहत अच्छी नहीं है। मिस्टर सिन्हा नुमाइश में पूरी दिलचस्पी ले रहे हैं । मेरी राय में बिहारी भाइयों ने निहायत अकलमंदी की जो उनको नुमाइश कमेटी का सदस्य चयनित किया। कमेटी के मेंबरों के नाम यह है:- मिस्टर जैसवाल बेरिस्टर, रायबहादुर राधाकिशन साहब, रायबहादुर राम रन विजय सिंह साहब, राय गुरु शरण प्रसाद साहब, गवर्नमेंट प्लीडर, मिस्टर नागेश्वर प्रसाद, साहब एडवोकेट, प्रेमी भाई जयन्ती प्रसाद साहब, प्रेमी भाई ब्रह्मदेव नारायन साहब और श्री युत मुरली मनोहर साहब साबिक एडीटर सर्चलाइट!
ताज्जुब है इन लोगों के दिल में दयालबाग के लिए इतनी जगह कहाँ से निकल आई । यह सबके सब मालिक के दया पात्र हैं । राधास्वामी दयाल जरूर इन पर इस व्यवहार के लिए खास दया फरमायेंगे।।
आज सुबह भी सत्संग हुआ और शाम को भी एक हजार के लगभग सतसंगी आए हैं । उम्मीद है कल सुबह तक तादाद 3 हजार तक हो जाएगी। सुबह के सत्संग में पटना का उद्देश्य बयान किया गया.. अब तक परमार्थी संस्थाओं ने अपने गुजारे के लिए जन सामान्य से मदद ली थी। अब जबकि आवाम के सर पर भीड पडी है परमार्थी संसंथाओं का फर्ज है कि अवाम सहायता के लिये हाथ बढावें।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
【 संसार चक्र】
- कल से आगे:-
6
गरुडमुख- आपके लिए तो गधा ही बन जाएगा।
दुलारेलाल- लेकिन सचमुच में तो वह मनुष्य ही रहेगा ?
गरुडमुख- ठीक है। ऐसे ही संसार भी संसार ही रहेगा। आप चाहे उसे सत्य माने, चाहे मिथ्या।
गोवर्धन -(चिल्लाकर) धन्य हो पंडित जी, लाज रख लेना कुरूक्षेत्र की।
दुलारेलाल- मेरा प्रश्न यह है- अगर संसार मिथ्या है तो हमारा दान पुण्य भी फिजूल है?
गरुडमुख- कौन कहता है संसार मिथ्या है? क्या आप श्वाँस नही लेते,अन्न नही खाते,गृहस्थी नहीं करते ?
अगर यह सब कर्म करते हैं तो संसार को कैसे मिथ्या कह सकते हैं ?
दुलारेलाल- हो सकता है कि हमको सिर्फ भासता है कि हम यह वह कर्म करते हैं और असल में कुछ नहीं करते। जैसे स्वपन में कोई फकीर राजा बन जाता है और आंख खुलने पर अपने आप को फकीर पाता है।
गरुडमुख- स्वपन भर तो वह राजा ही रहता है अगर संसार स्वपन है तो जब तक यह स्वपन नहीं टूटता तब तक तो वह स्वपन सत्य ही है।
दुलारेलाल -मैं अब कोई दान न करूंगा। मैं पहले यह तय करूंगा कि संसार मिथ्या हैं या सत्य है। स्वपन में कर्म करना फिजूल है ।
गोवर्धन - दान ना करोगे तो नरक में पडोगे-" सौ पापन का मूल है ₹1 रोक।"- सुना है यह महात्माओं का बचन? जब ₹1सौ पापों का मूल है तो तुम्हारे रुपयों की पोट कितने पापों का मूल ठहरी? और यह तुम दोनों को कहां ले जाएगी? मूर्ख ना बनो।
दुलारेलाल- आपके यहां जो गाय हैं उनका दूध कहां खर्च होता है?
गोवर्धन-(चिल्लाकर) ये गौवें दूध निकालने के लिए नहीं पाली जाती, सेवा के लिए पाली जाती है। दुलारेलाल- आप का सदाब्रत कहाँ है?
गोवर्धन-( बात काट कर) फिर पूछोगे आपकी पाठशाला कहाँ है?
दुलारेलाल- जरूर आपकी यह सब चीजें देखना चाहता हूँ?
गोवर्धन-ओ हो! मालूम होता है कि कहीं के लाट है।
गरुडमुख-धीरज करो, हम आपको कल ग्रहण के बाद ये सब चीजें दिखला देंगे ।
गोवर्धन पंडित। जाओ इनको संग ले जाओ, कुछ गौवें तो इन्हे अभी दिखला दो।
( नमस्कार करके राजा दुलारेलाल व रानी इंदुमती उठ जाते हैं और गोवर्धन पंडित को हमाराह जाते है।) क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर महाराज-
प्रेम पत्र- भाग 1- कल से आगे:-(6)
जो किसी को अपने अभ्यास के समय ऊपर की लिखी हुई हालत की पहिचान कम होती है ,तो सबब उसका यह है कि उस अभ्यासी को गुनावण यानी ख्यालात अक्सर भजन और ध्यान में सताते और विघ्न डालते रहते हैं। इस वास्ते से उसको चाहिए कि वह अपनी एक या दो वर्ष गुजरी हुई पहले की हालत तबीयत को, साथ अपनी हाल की हालत के मुकाबला करें, तो जो वह सच्चा सत्संगी और सच्चा अभ्यासी है तो उसको और उसके घरवालों को इस कदर जरूर मालूम पड़ेगा कि पहले की निस्बत उसकी तबीयत संसारी लोगों के संग में संसारी व्यवहार और कारोबार गैर जरूरी और गैरमामूली में कम लगेगी दुनियावी ख्यालात भी उसके दिन दिन किसी कदर कम होते जाएंगे, और फजूल और गैरवाजिब चाहें और तरंगे दुनियाँ के भोगों और मामलों की भी कम होती जाएगी, और सत्संग और बानी और बचन में, और गुरु और साध और सच्चे मालिक राधास्वामी दयाल के चरणों में प्रीति और प्रतीति पहले से किसी कदर ज्यादा होती जावेगी।
क्रमशः
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
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