॥जय बाबा स्वामी॥
स्थूल आँखो से कुंडलिनी शक्ति को देखा गया :
मधुचैतन्य अक्टूबर २००२ , पृष्ठ: २२
यु . के . की यात्रा
श्री टीम कई दिनों से पूज्य गुरुदेव से सेंट डेविड चर्च चलने की प्रार्थना कर रहे थे। फिर आखिर में एक दिन पूज्य स्वामीजी उनकी इस बात के लिए राजी हो गए और वहाँ उनकी सेवा में लगे सभी साधकोंं के साथ चर्च पहुँचे। यह एक बहुत पुराना चर्च था जिसकी स्थापना सेंट डेविड ने की थी। सेंट डेविड ने पूज्य गुरुदेव को उनकी प्रथम यात्रा के दौरान सूक्ष्म रूप से दर्शन दिए थे। दरअसल में वे खुद चाहते थे कि पूज्य गुरुदेव उनके स्थान पर आएँँ , इसलिए कई जगह देखने के बाद यहाँ की जगह ही तय हुई। यह दिन एक अविस्मरणीय दिन साबित हुआ।
एक-एक कर के हम सब लोग श्री टीम के साथ अलग-अलग कमरों में जाते जाते गए। फिर एक कमरा था जहाँ पर किसी संत की हड्डियाँ एक पेटी में रखी हुई थीं और उसके नीचे लिखा था कि ये हड्डियाँ सेंट सेंट डेविड , सेंट कँँरेडॉग या सेंट जेस्टिनिया में से किसी एक की हैं। पर आज तक कोई यह नहीं पहचान पाया था कि वे किस की हैं? जब पूज्य स्वामीजी उस पेटी के सामने आए , तो उन्होंने महसूस किया कि वे हड्डियाँँ सेंट कँँरेडॉग की होनी चाहिए।
तभी श्री टीम पूज्य स्वामीजी और हड्डियों के बीच में आकर खडे हों गए। पूज्य स्वामीजी ने हाड्डियों में से बह रहे चैतन्य को जाँचने के लिए कहा। श्री टीम बेखबर थे , पर जैसे ही वे दोनों हाथों से जाँचने लगे , उनके हाथों से ठंडा-ठंडा वाईब्रेशन बहने लगा। उसी समय पीछे खडे पूज्य गुरुदेव के वाईब्रेशन को भी जैसे ही उन्होंने ग्रहण किया , वैसे ही उनकी कुंडलिनी शक्ति जागृत होने लगी। इस वाईब्रेशन की मात्रा इतनी तीव्र थी कि हम सब उनके टी - शर्ट के अंदर की तरफ कुंडलिनी शक्ति को एक साँँप की तरह ऊपर जाते हुए अपनी आँखों से देख पाएँ। स्वामीजी ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि स्थूल आँखों से कुंडलिनी शक्ति को देखा गया हो। एक और सुखद बात यह रही कि इस पूरे घटनाक्रम की शूटिंग श्री राजूभाई कर रहे थे।
॥आत्म देवो भव:॥
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