Tuesday, June 23, 2020

23/06 को शाम के सतसंग में पढ़ा गया वचन







**राधास्वामी!!

 23-06-2020-

आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-

                    

(1) आज मेरे आनँद बजत बधाई, नइ होली खेलन मन भाई।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-2,पृ.सं. 290)                                 
 (2) मेरे हिरदे जगी है उमंग नई आज आई बहार बसंत।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-135,पृ.सं.200)                               

 (3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-

कल से आगे! 
          
 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!!
 23- 06 -2020-

 आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे

【 शब्द 】

 -(29)

 यह वर्णन हो चुका है कि सुमिरन और ध्यान की युक्तियां प्रारंभिक है और उनका मुख्य उद्देश्य अभ्यासी के मन और इंद्रियों को वश में लाना और उसकी सोई हुई आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करना है ।।                                           

 (30) केन- उपनिषद के दूसरे खंड के चौथे श्लोक के भाष्य में पंडित राजाराम जी लिखते हैं - "जैसे सोया हुआ पुरुष अपने आप से बेखबर होता है इसी तरह हमारा आत्मा अपने आप से बेखबर सोया हुआ है।


 इस बेखबरी को दूर करके अपने आपको पहचान लेना है उसका जाग उठना है । शुद्ध स्वरूप का ज्ञान मन से नहीं होता किंतु आत्मा से ही होता है"।

उक्त महाशय ने  ये सब बातें ' प्रतिबोधविदितं' वाक्य की व्याख्या में लिखी है । 'प्रतिबोध' का अर्थ जाग उठना है ।🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश -भाग पहला -परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**


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