🌞जय श्री सीताराम सादर सुप्रभात जी🌞
🌷प्यारे हरि भक्तों एक नवीन सुंदर भजन🌷
🌞जिसकी रचना कल ही श्री हरि कृपा से🌞
🌷हुई है स्मरण करें🙏
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*आन बसो हृदय रघुराई*
! नील कंज घनश्याम सुंदर तन,
नभ बारिद जनु छाई!!
*आन बसो हृदय रघुराई*
! पिताम्बर पट शिष मुुकुट मणि
कुण्डल कर्ण धराई!!
*आन बसो हृदय रघुराई*
! राजीव दल लोचन मो निरखो,
मुख मण्डल मुसकाई!!
*आन बसो हृदय रघुराई*
! अधर ललाम कपोल सुकोमल,
सायक कंध धराई!!
*आन बसो हृदय रघुराई*
! नव पंकज गल माल विभूषण,
चित्त करूणा बरसाई!!
*आन बसो हृदय रघुराई*
!"जड़ कामि"अभिलाष कंज पद, आन
वर सेवा सुखदाई!!
*आन बसो हृदय रघुराई*
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