राधास्वामी!! 20-07-20
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) सुरत सिरोमन फाग रचाया।सब जुड मिल आज खेलो री होरी।।टेक।।-(धूम मची अब धरन गगन में। राधास्वामी खेलत फाग अधर में। भींज रहे सब प्रेम रंग में। सुध बिसरी रच रही धुनन म़े। आज अनोखा फाग रचो री।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-26,पृ.सं.314)
(2) राधास्वामी दयाल सरन की महिमा। सतसंगी मिल गाय रहे री(आज) ।।टेक।।-( दास दासी सब अमर होय कर। अमरापुरी को धाय रहे री।। ) प्रेमबिलास-शब्द-14,पृ.सं.17-
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग -पहला-कल से आगे।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
राधास्वामी!!
20-07- 2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे-( 55) -
स्वामी दयानंद जी ने सत्यार्थप्रकाश में सदा की मुक्ति का खंडन किया है और निम्नलिखित 8 युक्तियाँ दी है। पहले -वेद में इसका निषेध है ।
दूसरे -मनुष्य की सामर्थ्य और उसका साधन परिमित है, उनका फल अनंत या सदास्थायी कैसे हो सकता है?
तीसरे- अनंत मुक्ष होने पर मुक्ति के स्थान में बहुत सा भीड़ भड़क्का हो जाएगा क्योंकि वहां आगम अधिक( आमद ज्यादा) और व्यय( खर्च )कुछ भी नहीं होने से बढ़ती का वारापार (वारपार) न होगा।
चौथे -अगर मुक्ति से कोई भी जीव लौट कर ना आवे तो संसार उजाड़ हो जाएगा।
पाँचवे-जैसे कड़वे के बिना मीठे का स्वाद नहीं आता ऐसे ही दुख के बिना सुख का भी क्या आनंद होगा अर्थात् यदि किसी को सदा के मुक्ति मिल गई तो वह सुख का आनंद भोगने के योग्य ही ना रहेगा।
छठे- यदि ईश्वर अंत वाले कर्मों का अनंत फल दे तो उसका न्याय नष्ट हो जाता है।
सातवें- जैसे सेर भर भार उठाने वाले के ऊपर मन भर लाद देना अनुचित है ऐसे ही परीमित शक्ति वाले जीव के सिर सदा की मुक्ति का बोझ लाद देना अनुचित है ।.
आठवें- अगर मुक्ति से पुनरावृति नहीं है तो ब्रह्म में लय होना डूब मरना ही हैं ।
इन युक्तियों के अतिरिक्त आपने मुक्ति की अवधि भी लिखी है। वह एक महाकल्प या सृष्टि के 36 सहस्त्र बार उत्पन्न और नष्ट होने के समय के बराबर है।
( सत्यार्थप्रकाश तेरहवाँ हिंदी एडिशन 252, 253,और 254)।
🙏🏻 राधास्वामी 🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग पहला-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!.
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