**परम गुरु हुजूर महाराज-
प्रेम पत्र-भाग-एक
-कल से आगे:-(8)
फिर मुकाम त्रिकुटी से दोनों धारें उतर कर सहसदलकँवल में आकर ठहरीं और यहाँ इनका नाम जोत निरंजन और शिव शक्ति हुआ।
ब्रह्मांड में ब्रह्म सृष्टि की रचना इन्होने करी। यहाँ पर निरजंन जोत का स्वरुप जुदा जुदा प्रगट हुआ और दोनों चैतन्य और निहायत लतीफ यानी सूक्ष्म स्वरुप है। इस मुकाम से तीनों गुण की धारें यानी सत, रज, तम जिनको ब्रह्म, विष्णु और महेश कहते हैं और पांच तत्व सूक्ष्म यानी पृथ्वी, जल , अग्नि, पवन और हुए।
इन आठों से मिलकर चेतन पुरुष और माया के तीन लोक की रचना करी, यानी देवता, असुर और चार खान के जीव ( जेरज, अंडज,स्वेदज और उद्भिज), जिसमें मनुष्य, चौपाये,परिंद और कीड़े मकोड़े और अनेक किस्म के दरख्त और वनस्पति और खाने शामिल है, पैदा किये और सूरज और चांद और जमीन आसमान रचे गए.
क्रमशः
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
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