**परम गुरु हुजूर महाराज
- प्रेम पत्र -भाग 1-
कल से आगे:-( 4)
सत्तलोक के नीचे जो गिलाफदार चैतन्य था वह किसी कदर काले रंग का था। जब उसकी कशिश सतलोक की तरफ हुई तो उसके खिलाफ दूर होकर नीचे को गिराया गया, पर वह काबिल इसके ना था कि सत्तलोक के चैतन्य के साथ तदरुप हो जावे।
इस वास्ते वह सत्तलोक के नीचे के अंग से किसी कदर श्याम रंग नूरानी धार रूप होकर प्रगट हुई और वह धार नीचे की तरफ दिन दिन बढ़ती गई और किसी कदर फासले पर सत्तपुरुष के सम्मुख ठहरी।
इसी धार का नाम निरंजन और काल पुरुष है। इसी ने कुछ अरसे के बाद सत्तपुरुष से दरख्वास्त की थी मुझको हुकुम और इख्तियार सत्तलोक के मुआफिक रचना करने का मिले और वहां मैं तुम्हारा ध्यान करता रहूँ। सो उसकी ऐसी ख्वाहिश देखकर सत्तपुरुष ने इजाजत दी कि नीचे के देश में जाकर रचना करें।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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