**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
रोजाना वाकिआत-
कल से आगे-
हरबर्ट स्पेंसर ने किसी वक्त कह दिया था कि औरतों का भी जब जब दाँव चलता है बेतकल्लुफ मर्दो पर जुल्म करती है। उनका सिर्फ मर्दों को जालिम करा देना महज व्यर्थ है ।
बस फिर क्या था हरबर्ट स्पेंसर की इज्जत खाक में मिला दी गई। लेकिन आज एक किताब के कुछ पृष्ठ पढे। उसका नाम है The Dominant Sex । उसके रचनाकारों ने तो गजब ही ढा दिया है। उन्होंने बकायदा जाँच व खोजबीन के बाद स्पार्टा, मिश्र व दीगर राष्ट्रों की पुरानी कौमों के हालात लेखनीबंद किये हैं जिनके अध्ययन से मालूम होता है कि जो हाल मर्दों ने आजकल औरतों का कर रखा है उन लोगों के जमाने में औरतों ने मर्दों का कर रखा था।
मर्दों को पर्दे में रहना पड़tता था । जायदाद की मालिका औरते होती थी। कपड़े धोना व सीना, खाना पकाना, झाड़ू pलगाना यह सब कामों के जिम्मे थे यहां तक कि बच्चों की परवरिश का काम भी मर्दों के सिपुर्द था।
ज्यों ही किसी मर्द की बीवी ने बच्चा जना उसे आजकल की औरतों की तरह चारपाई पर लेट जाना पड़ता था और बीबी दो चार रोज के बाद हस्ब मामूल अपने काम पर चली जाती थी। औरतें व्यापार व सरकारी नौकरियां करती थी और उन्हें इजाजत थी जितने मर्दों से चाहे शादी करें लेकिन कोई मर्द सिवा अपनी बीवी के दूसरी तरफ निगाह न उठा पाता था। असली बात यही है कि ताकत व उन्नति पाकर हर इंसान मर्द हो या औरत कमजोर पक्ष पर जुल्म करने लगता है।।
O मिस्टर हेनरी मॉर्गनथ्यू ने मुझसे दरयाफ्त किया कि ताकतवर आदमी वह है जो कमजोरों की क्या सहायता करे। इस पर उन्होने पूछा कि ताकतवर कौम की तारीफ क्या है, मैने कहा वह कमजोर कौमों की सहायता करे।
उन्होने पूछा अगर कोई कौम रुपया पैसा और ताकत रखती हो और कमजोर हो की सहायता न करें तो क्या कहोगे? मैं जवाब दिया मैं यही कहूँगा कि यकीनन वह कौम कमजोर है क्योंकि कमजोरों की मदद करने की कमजोरी है । इस जवाब से वह बहुत खुश रहें और बड़ी भारी रकम मुझे पेश की। लेकिन मैंने उसे लेने से इनकार कर दिया परमार्थ की तो यही तालीम है-
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
रोजाना वाकिआत-
कल से आगे-
हरबर्ट स्पेंसर ने किसी वक्त कह दिया था कि औरतों का भी जब जब दाँव चलता है बेतकल्लुफ मर्दो पर जुल्म करती है। उनका सिर्फ मर्दों को जालिम करा देना महज व्यर्थ है ।
बस फिर क्या था हरबर्ट स्पेंसर की इज्जत खाक में मिला दी गई। लेकिन आज एक किताब के कुछ पृष्ठ पढे। उसका नाम है The Dominant Sex । उसके रचनाकारों ने तो गजब ही ढा दिया है। उन्होंने बकायदा जाँच व खोजबीन के बाद स्पार्टा, मिश्र व दीगर राष्ट्रों की पुरानी कौमों के हालात लेखनीबंद किये हैं जिनके अध्ययन से मालूम होता है कि जो हाल मर्दों ने आजकल औरतों का कर रखा है उन लोगों के जमाने में औरतों ने मर्दों का कर रखा था।
मर्दों को पर्दे में रहना पड़tता था । जायदाद की मालिका औरते होती थी। कपड़े धोना व सीना, खाना पकाना, झाड़ू pलगाना यह सब कामों के जिम्मे थे यहां तक कि बच्चों की परवरिश का काम भी मर्दों के सिपुर्द था।
ज्यों ही किसी मर्द की बीवी ने बच्चा जना उसे आजकल की औरतों की तरह चारपाई पर लेट जाना पड़ता था और बीबी दो चार रोज के बाद हस्ब मामूल अपने काम पर चली जाती थी। औरतें व्यापार व सरकारी नौकरियां करती थी और उन्हें इजाजत थी जितने मर्दों से चाहे शादी करें लेकिन कोई मर्द सिवा अपनी बीवी के दूसरी तरफ निगाह न उठा पाता था। असली बात यही है कि ताकत व उन्नति पाकर हर इंसान मर्द हो या औरत कमजोर पक्ष पर जुल्म करने लगता है।।
O मिस्टर हेनरी मॉर्गनथ्यू ने मुझसे दरयाफ्त किया कि ताकतवर आदमी वह है जो कमजोरों की क्या सहायता करे। इस पर उन्होने पूछा कि ताकतवर कौम की तारीफ क्या है, मैने कहा वह कमजोर कौमों की सहायता करे।
उन्होने पूछा अगर कोई कौम रुपया पैसा और ताकत रखती हो और कमजोर हो की सहायता न करें तो क्या कहोगे? मैं जवाब दिया मैं यही कहूँगा कि यकीनन वह कौम कमजोर है क्योंकि कमजोरों की मदद करने की कमजोरी है । इस जवाब से वह बहुत खुश रहें और बड़ी भारी रकम मुझे पेश की। लेकिन मैंने उसे लेने से इनकार कर दिया परमार्थ की तो यही तालीम है-
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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