Thursday, July 23, 2020

उधो श्याम गोपी संवाद / सतिंदर गुप्ता



 दिल था शाम को सौंप दिया
अब   दुजा  कहां   से  लाएं  हंम
बंसी   धुन   कान‌   में    बैठ  गई
अब और  क्या  उसे सु नाएं  हंम
एक दिल था शाम को सौंप दिया

आंखों   में  शाम   हैं   आन  बसें
कुछ   और   देख  ना   पाएं  हंम
इस  तन  पे  शाम  का  राज‌ चले
अब   खुद  कैसे   चल  पायें‌  हम
बंसी   धुन    कान   में   बैठ   गई
अब  और  क्या  उसे  सुनाएं  हंम

जब   शाम  शाम   रंग  डाल  गये
किसी  और  ना रंग  रंग पायें  हंम
बैठा    है   लबों   पे    शाम   नाम
कुछ   और   बोल  ना   पायें   हम
 बंसी    धुन   कान   में   बैठ   गई
अब  और  क्या  उसे  सुनाएं   हंम

उदौ ‌ उस   शाम  का  क्या  कहना
हैं   उस    की   आस   लगाए  हंम
अब    रो   रो    ‌आंसू    सूख   गए
दिल   ही   दिल   घुटते  जायें   हम
 बंसी  ‌  धुन   कान    में   बैठ   गई
अब  और   क्या  उसे  सुनाएं   हंम

उस   बिरहा  जल जल  खाक  हुए
अब  किस  को  और  जलांयें‌   हंम
अगर   कांटा  भी  चुभ  जाये‌  उन्हें
यहां   लहू   लुहान   हो  जायें   हम
बंसी   ‌ धुन     कान    में   बैठ  गई
अब   और   क्या  उसे  सुनाएं  हंम

हम   यही    दुआ   नित ‌ करें  सदा
वह      खुश     रहें    आबाद    रहें
जब     याद     हमारी   आ     जाए
उन    के  ही   मन   पा ‌  जायें   हम
 बंसी     धुन   कान   में    बैठ   गई
अब।  और   क्या  उसे  सुनाएं   हंम

जा  ‌  ऊदौ    शाम   से   ना  ‌ कैहना
हमं     घुट    घुट    जिए   जाते    हैं
तेरी  याद  में   तिल   तिल   मरते  हैं
ना    पायें    चैन    ना     सोएं    हंम
बंसी    धुन    कान    में    बैठ    गई
अब   और   क्या  उसे   सुनाएं   हंम

कुछ    ऐसा   ना    कह    देना   उन्हें
जो   और    दुःखी   कर   जाए   उन्हें
हम   खुश  हैं   जिसमें   वो   खुश   हैं
चाहे    जांन   भी   दे    जायें  गे   हंम
बंसी     धुन    कान     में     बैठ   गई
अब   और   क्या ‌  उसे   सुनाएं    हंम
एक   दिल था  शाम  को  सौंप   दिया
अब     दुजा   कहां    से   लाएं    हंम
                   
 प्रवचन में सुना था के एक दिन श्याम गोपियों की याद में बहुत रो रहे थे जब उद्धौ ने देखा के श्याम रो रहे हैं तो उद्धौ ने रोने का कारण पुछा।तब श्याम ने कहा आज गोपियों की बहुत याद आ रही है वह मेरे लिए तड़प रही हैं और मैं कुछ कर नहीं पा रहा हूं।तब उद्धौ ने कहा कि आप भी इस माया में फंसे हो आप गोपियों से कहो कि तुम्हें छोड़ें और उस साक्षात् भगवान में मन लगाएं।तब श्याम कहते हैं ,उद्धौ तु ही भगवान को सब से ज्यादा जानते हो तुम यहीं जा कर गोपियों को समझाओ  ,और उद्धौ को गोपियों के पास भेजते हैं।

उद्धौ जब गोपियों के पास पहूंचते हैं तो देखते हैं गोपियां श्याम श्याम जपे जा रही हैं और रोये जा रही हैं।तब उद्धौ गोपियों को कहते हैं के श्याम को छोड़ साक्षात् भगवान में दिल लगाएं
तब गोपियां उद्धौ से कहती , एक दिल था शाम को सौंप दिया अब दुजा कहां से लाएं ।इस प्रसंग पर यह रचना लिखी है। आज इस कि रिकोर्डिंग की ।

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