रामायण से जुड़े कुछ गुप्त रहस्य जो वर्णित हैं केवल वशिष्ट रामायण में?
वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण को राम के चरित्र से जुडी अन्य ग्रंथो में विशेष माना गया है जिसमे मर्यादा पुरषोतम प्रभु राम सहित उनके आज्ञाकारी भाइयो लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का वर्णन किया गया है। अपने वचन के कारण राम को 14 वर्ष का वनवास देकर पुत्र के वियोग में अपने प्राण गवाने वाले राजा दशरथ भी इन धर्म ग्रंथो में धर्म पुरुष के नाम से वर्णित है।
ऐसे ही अनेको महत्वपूर्ण पात्रो का वर्णन रामायण में मिलता है परन्तु रामायण से जुड़े कुछ ऐसे भी पात्र है जिनका वर्णन वशिष्ठ रामायण के आलावा किसी भी अन्य रामायण के ग्रन्थ में नहीं मिलता. आइये जानते है रामायण से जुड़े ऐसे तथ्य जो वाल्मीकि द्वारा रचित पवित्र रामायण में भी नहीं है।
दशरथ के पिता राजा अज सूर्यवंश के 38 वे राजा थे तथा उनका राज्य कौशल सरयू नदी के किनारे दक्षिण की ओर स्थित था . राजा अजा की पत्नी का नाम इंदुमती था जो स्वर्गलोक की एक सुन्दर अप्सरा थी।किसी श्राप के कारण वह धरती पर साधारण स्त्री के वेश में रहने को विवश थी. वन में आखेट खेलते समय एक दिन कौशल के राजा अजा की भेट इंदुमती से हुई और उन्होंने उनके सुंदरता के आकर्षण से आकर्षित होकर उनसे विवाह कर लिया।
कुछ वर्षो बाद राजा अज और रानी इंदुमती का एक पुत्र हुआ जिसका नाम उन्होंने दशरथ रखा। एक दिन राजा अजा अपनी पत्नी इंदुमती के साथ बैठे हुए थे उसी समय उस जगह से होते हुए नारद जी आकाश मार्ग से गुजरे। नारद की वीणा का एक माला टूटकर रानी इंदुमती पर पडा जिससे उनका श्राप नष्ट हो गया तथा वह वापस इंद्रलोक चली गई।
क्योकि राजा अजा इंदुमती से बहुत प्रेम करते थे अतः उन तक पहुंचने का कोई अन्य मार्ग न पाते हुए उन्होंने स्वेच्छा से अपने प्राण हर लिए। राजा अज की मृत्यु के समय दशरथ मात्र आठ महीने के थे। कौशल राज्य के राजगुरु वशिष्ठ के कहने पर ऋषि मरुधनवा ने दशरथ का पालन पोषण किया तथा दशरथ के प्रतीक के रूप कौशल राज्य के मंत्री ने राज्य की सत्ता संभाली।
जब दशरथ 18 साल के हुए तो उनके हाथ में कौशल राज्य जिसकी राजधानी अयोध्या थी का शासन आ गया। वे उत्तरी राज्य को भी अपने शासन में मिला लेना चाहते थे अतः उन्होंने उस राज्य के राजा की पुत्री कौशल्या के साथ विवाह कर लिया। इस प्रकार राजा दशरथ पुरे कौशल नगर के नरेश बन गए।
विशिष्ठ रामयण के अनुसार उत्तरी एवं दक्षिणी कौशल के राजा की संतान न होने का कारण था दशरथ और कौशल्या का एक ही गोत्र का होना जो उन्हें मालूम नहीं थी।
विशिष्ठ रामायण में यह भी उल्लेखित है की विवाह के बाद कौशल्या तुरंत गर्भवती हो गई थी तथा उनके गर्भ से जन्मी पुत्री अपाहिज थी।
जब राजा दशरथ अपनी पुत्री के उपचार के लिए उसे गुरु वशिष्ठ के पास ले गए तब उन्होंने बताया की उनके पुत्री की यह स्थित उनके समान गोत्र के कारण है।
उनकी पुत्री तभी स्वस्थ हो सकती है जब राजा दशरथ उसे किसी अन्य को गोद दे। इसलिए दशरथ और कौशल्या ने अपनी संतान को किसी और को गोद दे दिया तथा राजा ने संतान की इच्छा से सुमित्रा व कैकयी से विवाह किया परन्तु फिर भी राजा को संतान प्राप्त नहीं हो रही थी।
आखिरकार वशिष्ठ की सलाह पर यज्ञ करवाया गया तथा उस यज्ञ के प्रभाव से राम, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न राजा दशरथ को पुत्र के रूप में प्राप्त हुए. विशिष्ठ रामायण में कहा गया है की दशरथ की पुत्री का नाम शांता था जिसका विवाह ऋष्यश्रृंग से हुआ था वही वाल्मीकि रामायण में इसका उल्लेख तक नहीं है !
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