**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
【 संसार चक्र】
कल से आगे
-तीसरा दृश्य)
(बाजार में कुछ लोग जमा है। बातें हो रही हैं।)
एक शख्स- सुना तुमने महाराज की बाबत?
दूसरा शख्स- नहीं तो।
पहला शख्स- अरे तुम क्या दिल्ली में रहते हो?
तीसरा शख्स- कुछ बतलाओं भी तो।
पहला शख्स- महाराज ने हुक्म दिया है आइंदा रियासत की निस्फ आमदनी नहर,कुएँ, व सड़क बनाने और देहात के अंदर सफाई रखने पर खर्च होगी ।
चौथा शख्स- ओ हो! रियासत की आमदनी तो आठ लाख रुपया साल है, क्या हर साल चार लाख रुपरा इन कामों पर खर्च होंगे ?
तीसरा शख्स- इस हिसाब से तो 1 दिन सारा राज का राज स्वर्गपुरी बन जाएगा!
पहला शख्स- और एक लाख रुपये साल स्कूलों और हस्पतालों पर खर्च होंगे, एक लाख गोशालाओं पर, एक लाख अमला की तनख्वा पर।
दूसरा शख्स- और महाराज का खर्चा ?
पहला शख्स- महाराज ने प्रण कर लिया है कि अपने इखराजात के लिए रियासत की आमदनी से सिर्फ से सिर्फ एक.लाख रुपया सालाना लेंगे।
दूसरा शख्स- वाह साहब वाह! महाराज ने तीर्थ यात्रा क्या की सब के सब पाप- कर्म धो डालें।
चौथा शख्स- मालूम होता है तुलसी बाबा का प्रभाव पड़ा है।
पहला शख्स - नहीं नहीं, तुलसी बाबा तो वैसे ही साथ रहते हैं। महाराज की गोदावरी नगर में किसी राजा से मुलाकात हो गई थी। वह राजा क्या राजर्षि है। उसके कोई गुरु है। सुना है कि इस प्रांत के पोस्टमास्टर जनरल है बस उनके शरणागत हो गये.
दूसरा शख्स - कोई अच्छे ही गुरु हैं जिन्होंने गृहस्थी भी नहीं छुडाई और जगत् से न्यारा भी कर दिया।
( इतने में तीन नायिकाएं सफेद कपड़े पहने सामने से आती है)
तीसरा शख्स- ये मातमीं सूरतें किधर जा रही हैं?
एक नायिका- महाराज के यहां हाजिरी देने जा रहे हैं।
पहला शख्स- अब हुआ तुम लोगों का भी मिजाज ठीक। उतर गये न चमकीले दमकीले कपडे?
दूसरी नायिका-वह प्रजा क्या जिस पर राजा का प्रभाव न पडे और वह राजा क्या जिस पर प्रजा का प्रभाव न पडे?
दूसरा शख्स- ठीक है, ठीक है ।
पहला शख्स-(दूसरे से) चलो भाई!हम भी इनके पीछे पीछे चले , देखें क्या तमाशा होता है ?
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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