सफलता का रहस्य क्या है? जब यह प्रश्न एक युवक ने युनान के प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात से किया तो इस प्रश्न के उत्तर में सुकरात ने उस युवक को कल सुबह नदी किनारे मिलने के लिए कहा।
अगले दिन सुबह के समय वह युवक और सुकरात दोनों नदी किनारे पहुंच गए। सुकरात ने नौजवान युवक से उनके साथ पानी में आगे बढ़ने को कहा। युवक सुकरात के साथ नदी में पानी की ओर बढ़ता चला गया। जब आगे बढ़ते- बढ़ते पानी गले तक आ गया। तब अचानक सुकरात ने उस युवक का सिर पानी में डुबो दिया। नौजवान युवक अपना सिर बाहर निकालने के लिए छटपटाने लगा। सुकरात ताकतवर थे इसलिए युवक का पानी से बाहर निकलने का हर प्रयास विफल होता जा रहा था।
जब शरीर नीला पड़ने लगा तब जाकर सुकरात ने उस युवक का सिर पानी से बाहर निकाला और बाहर निकलते ही जो काम नौजवान ने सबसे पहले किया वो था हाँफते हुए जल्दी-जल्दी सांस लेना।
सुकरात ने उस युवक से पूछा -जब तुम्हारा सिर पानी के भीतर था तब तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे।
नौजवान युवक ने उत्तर दिया - सांस लेना।
सुकरात ने कहा - बस, यही सफलता का रहस्य है। जब तुम सफलता को उतना ही ज्यादा चाहोगे जितना कि तुम उस वक्त सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हें जरूर मिल जाएगी।
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