Thursday, July 23, 2020

आज शाम 23/07 शाम सतसंग के पाठ औऱ वचन


**राधास्वामी!!
 23-07-2020-

 आज शाम के सतसंग में पढे जाने वाले पाठ-

(1)होली खेलत सुरत रँगीली, गुरु सँग प्रीति बढाई।।टेक।। सुरत अबीर मलत चरनन पर। प्रेम रंग बरसाई। गुनन गुलाल उडावत चहुँ दिस। शब्द सुनत हरखाई। गगन पर करत चढाई।।-(महासुन्न होय चढत गुफा पर। सोहँग मुरली बजाई। सतपुर जाय मिली सतगुरु से। मधुर धुन आई। चरन में राधास्वामी जाय समाई।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-29,पृ.सं.317)

(2) मैं तो आय फँसी परदेस, कोई घर की खबर जनाओ रे। प्रेमनगर मेरे पिया बिराजे, कोई प्रेम की डगर खुलाओ रे।।-( ) (प्रेमबिलास-शब्द-17,पृ.सं.22)

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-कल से आगे।🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**राधास्वामी!

!23-07 -2020

-आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन

- कल से आगे-( 56) का  शेष:-

अब शेष रह गई 2 युक्तियां अर्थात पहली और चौथी । उनके विषय में वैदिक धर्म के परम भक्त श्री नरदेव शास्त्री वेदतीर्थ का लेख ध्यानसहित पढ़ने के योग्य है। आपने अपने ग्रंथ ' आर्य समाज का इतिहास ' के प्रथम भाग में पहली युक्ति के संबंध में लिखा है--" इसमें संदेह नहीं-- सर्व दुखों से छूट कर जन्म मरण के बंधन से रहित होकर ईश्वरानंद में निमग्न होने का नाम ही मुक्ति है ।

 इतने अंश में सब दर्शनकार एकमत हैं। पर मुक्ति से लौटकर फिर आता  है, इस तत्व को केवल स्वामी जी ही मानते हैं । जो लौटना नहीं मानते वे 'न च पुनरावर्तते, न च पुनरावर्तते'  इस श्रुति को प्रणाम में प्रमाण में देते हैं ।

हमको तो आज तक एक प्रमाण नहीं मिला जो स्पष्ट रूप से लौटने की बात कहता हो"।

(पृष्ठ61)

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻

 यथार्थ प्रकाश -

भाग पहला- परम गुरु हुजूर साहब जी महाराज!**




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