Sunday, August 30, 2020

दयालबाग़ सतसंग 30/08

 **राधास्वामी!! 30-08-2020-


 आज.शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                            

   

  (1) मनुआँ सिपाही चरनन लागा। घट परतीत पकाय।। सुन सुन धुन हरखत रहूँ मन में। निस दिन गुरु गुन गाय।।-(राधास्वामी चरनन पर बल जाऊँ। रहूँ नित सरन समाय।।) ( प्रेमबानी-3-शब्द-13 पृ.सं.355)                                              

   (2) जरा तुम होश में आओ हँसी और दिल्लगी छोडो। यह गफलत जहरे कातिल है जहाँ तक हो सके बचना।। मगर सूरत है इक ऐसी कि मुश्किल हल हों सब जिससे। सभी सामाँ मुयस्सर( प्राप्त) हों सहज हो रास्ता कटना।।-( खुशाबख्ता कि आखिर शुद मरा ईं जुम्ला दिक्कतहा। जे मेहरे राधास्वामी अम बदर रफ्तम् अजीं रखना।।) ( प्रेमबिलास-शब्द-42,पृ.सं.54)                                                                                           

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!                           

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

*राधास्वामी!!      

                                 

30-08 -2020


- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन

कल से आगे -(94)


 राधास्वामी सत्संग में साधारण प्रथा है कि प्रेमीजन अपने घरों में प्रतिदिन, और यदि किसी स्थान पर दस पाँच सत्संगी रहते हैं तो यथावकाश सप्ताह में एक या कई बार, और सेंट्रल सत्संग दयालबाग में प्रतिदिन 2 बार सम्मिलित होकर पाठ करते हैं । पाठ के समय प्रत्येक व्यक्ति अपनी चित्तवृत्ति सुरत की बैठक के स्थान पर एकाग्र करता है और जब पाठ में अंतरी स्थानों का वर्णन आता है तो उन स्थानों की ओर ध्यान प्रवृत करता है। थोड़ा सा अभ्यास हो जाने पर इस प्रकार पाठ करने और सुनने से जो दशा प्रेमीजन के अंतर में प्रकट होती है वह अनिर्वचनीय है। कबीर साहब फरमाते हैं :-

 मूर्खजन कोई मरम न जाने। सत्संग में अमृत बरसे ।।            

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश -भाग पहला परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**


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