Tuesday, August 4, 2020

रोजाना वाक्यात / प्रेम पत्र


*परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- 

रोजाना वाकिआत

- कल का शेष:- 

वह यह था:- जब मिस्टर क्ले मुआयना के लिये मोटरकार में सवार होने लगे तो अक्समात उनकी तवज्जुह उस पेड़ की जानिब आकृष्ट हुई जिसके नीचे कार खड़ी थी। वह अमलतास का पेड़ है। उस पेड़ पर निहायत और गैरमामूली खूबसूरत चिड़िया बैठी थी। 

मिस्टर कले कई मिनट तक चुप चुप चिड़िया की जानिब देखते रहे फिर उन्होंने पूछा यह क्या चिड़िया है।  मैंने अनभिज्ञता जाहिर की और कहँ कहाँ से किस्म किस्म के पक्षी दयालबाग में आ गए हैं। 

ना हमने किसी को बुलाया या बाहर से लाने की कोशिश की। मिस्टर क्ले ने जवाब दिया जहाँ कहीं हरे भरे दरख्त होते हैं और पाने का मुनासिब इंतजाम होता है वहां आप से आप परिंदे चले आते हैं।  मामूली सी बात थी लेकिन मेरे दिल पर उसका दूसरा ही असर हुआ । 

मेरे दिल ने कहा अगर हरे-भरे दरख्त और पानी का मुनासिब इंतजाम इस वीरान जंगल में किस्म  किस्म के खूबसूरत परिंटे खींच सकते हैं यहां का पाक व काम करने की कूव्वत से परिपूर्ण कुर्रेएहवाई गैर मामूली किबिलीयत वाली रुहों को भी खींच सकेगा।

  दीवान बहादुर साहब ने बातें बड़े गौर से सुनी और फरमाया यह एक नया ख्याल है और नफाँ पहुंचाने वाला है। क्योंकि अगर बाहर से कोई रुहें न भी आवे तो यहाँ रहने वाली रूहों को तो काम करने के लिए मौका मिलेगा और यह कोई कम बात नहीं है । 

फिर आपने अपनी दो रचनाएं मुझे इनायत की। एक में उदयपुर के कदीम महाराणा कुंभ के हालात दर्ज है और दूसरी में हिंदुओं कौम की प्राचीन काल में कारगुजारियों का विवरण  लिखित है।  रात को इन दोनों कुतुब का सरसरी अध्ययन किया। निहायत दिलचस्प व प्रशंसनीय जानकारियों का भंडार साबित हुई ।।                                                     

  प्रेमी भाई सीताराम ने एक मशीन तैयार की है जो आपसे चपातियाँ यानी हिंदुस्तानी रोटियां सेकती हैं।  मशीन का इम्तिहान दिया गया। कामयाब पाया। रात के सत्संग में वर्णित की इस नई कारगुजारी के हवाले से सत्संगियों की तवज्जुह ईजाद की तरफ दिलाई गई। 

यह दुरुस्त है कि इस किस्म के ईजादों से रुहानी तरक्की नहीं हो सकती लेकिन प्रमार्थ का यह एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है कि प्रेमीजन हक व हलाल की कमाई से गुजर करें । आजकल गैरमामूली चीजों की भरमार से एक शरीफ हिंदुस्तानी के लिए हक व हलाल की कमाई हासिल करना नामुमकिन हो रहा है।

 हिंदुस्तान में हिंदुस्तानियों के लिए न  कोई पेश आ रहा है न काम जिसमें दाखिल होकर परमार्रथ का शौकीन सरलतापूर्वक समय व्यतीत कर सकें। यह जमाना खास किस्म के प्रशिक्षण और टेक्निकल तालीम मांगता है। यह जमाना ईजादे तलब करता है। जो कौम इस जानिब तवज्जुह देगी वही हक व हलाल की कमाई हासिल कर सकेगी। और वही परमार्थ में कदम बढ़ाने के काबिल होगी। आखिर में सत्संगी भाइयों बहनों की जानिब से प्रेम भाई सीताराम को मुबारकबाद मय  पाँच सेर मिठाई पेश पेश की गई।                   

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


*परम गुरु हुजूर महाराज- 

प्रेम पत्र -भाग-1-कल से आगे-( 4) 

 उपर के लिखे हुए से साफ मालूम होगा कि राधास्वामी मत का मतलब यह है कि सूरत को दुख सुख और जन्म मरण के स्थान से हटाकर उसके निज घर में जो महासुख और परम आनंद का भंडार है पहुंचाना, यानी पिंड और ब्रह्मांड से, जो कि काल और माया का देश है, निकालकर संतो के दयाल देश या निर्मल चेतन में पहुंचाना ताकि कॉल क्लेश से बचकर दयाल देश में सदा का आनंद यानी अमर सुख पावे और अमर भी आप भी अमर हो जावे।।                                            

(5) बरखिलाफ इसके और मतों का जो दुनिया में जारी है यह हाल है कि जीवो को इसी देश के ऊंचे नीचे और मध्य स्थान में रखकर कभी सुख और कभी दुख के चक्कर में डालें रक्खें और जन्म मरण की फांसी काटी न जावे, बल्कि उनको पूरा भेज रचना का और पता सच्चे मालिक और उसके सच्चे देश का मालूम भी नहीं हुआ। 

इसी सबब से वह काल और माया के देश के पार का हाल नहीं बयान करते और न उसके पार जाने की जुगत समझाते और बताते हैं,  इसका हाल इस दृष्टान्त से ,जो नीचे लिखा जाता है, साफ-साफ मालूम होगा होवेगा। 

( दृष्टांत):-  जैसे पानी असल में गैस रूप था और फिर हवा रूप और बादल रूप और भाप रूप से पानी रूप होकर बरसा और फिर जमकर बर्फ रूप होकर जड यानी बेहिस्सो हरकत हो गया और जब उसको गर्मी पहुंचाई गई, तब फिर पानी रूप और भाप रुप होकर और बादल रुप और हवा रूप होकर फिर गैस रूप होकर गुप्त हो गया और ऊंचे से ऊंचे देश में जहां उसका पहले बासा था जाकर ठहरा।

 क्रमशः.     

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


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