Monday, August 31, 2020

चाणक्य बाबा

 चाणक्य ज्ञान धारा 

हमारा देश भारत हमेशा से ही ज्ञानियों का देश रहा है। हमारे देश में प्राचीन -काल से ही ज्ञान और अनुभव की कमी नहीं रही है ।लेकिन जब ज्ञान की बात आती है तो आचार्य चाणक्य का नाम सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।क्योंकि आचार्य चाणक्य अपने ज्ञान के कारण ही जाने जाते हैं।


उन्होंने अपने ज्ञान को अपने तक ही सीमित नहीं रखा है।बल्कि पूरी दुनिया में फैलाने के लिए पुस्तकों के माध्यम से हर विषय की जानकारी दी है।उन्होंने अपने ज्ञान के माध्यम से हमें जानकारी देते हुए यह बताया है कि हमें कभी भी भूल कर भी इनका अपमान नहीं करना चाहिए।


#पत्नी-


आचार्य चाणक्य ने पत्नी को लक्ष्मी का रूप माना है ।उनके अनुसार कभी भी किसी पुरुष को अपनी पत्नी का अपमान नहीं करना चाहिए। चाहे अपनी पत्नी का रंग रूप कैसा भी क्यों ना हो लेकिन कभी भी उसे अपमानित नहीं करना चाहिए। जो लोग ऐसा करते हैं माता लक्ष्मी उनसे सदा- सदा के लिए रुष्ट हो जाती है। इस दुनिया में सभी रिश्ते- नाते चाहे बेटा हो या बेटी माता हो या पिता सभी एक दिन बिछड़ जाते हैं।लेकिन अपनी पत्नी हमेशा -हमेशा के लिए साथ निभाती है। इसीलिए कभी भी अपनी पत्नी का अपमान नहीं करना चाहिए।


#भोजन


आचार्य चाणक्य ने खाने को प्रभु का प्रसाद माना है ।उनके अनुसार हमें कभी भी खाने का अनादर नहीं करना चाहिए ।जो लोग खाने में कमी निकालते हैं एक तरह से वे भगवान का अनादर कर रहे होते हैं। अन्न देवता उन लोगों से रुष्ट हो जाते हैं। इसीलिए हमें जैसा भी मिले हमें प्रभु की कृपा मानकर उसे ग्रहण कर लेना चाहिए।


#धन


आचार्य चाणक्य ने मेहनत और ईमानदारी से कमाए हुए धन का हमेशा सम्मान करने के लिए कहा है। उनके अनुसार हमें कभी भी छल -कपट से धन नहीं कमाना चाहिए। क्योंकि इस प्रकार का धन लंबे समय तक नहीं चलता है और वह किसी न किसी रूप में निकल जाता है। इसीलिए हमेशा मेहनत और ईमानदारी से ही धन कमाना चाहिए और अपने धन का हमेशा आदर करना चाहिए।


#घर


आचार्य चाणक्य के अनुसार हमें जैसा भी घर मिले हमें उसका हमेशा आदर करना चाहिए ।हमें कभी भी अपने घर को बुरा नहीं बताना चाहिए। इस तरह से अपने घर को बुरा बताने से हमेशा घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।


#संतान


आचार्य चाणक्य के अनुसार हमें जैसी भी संतान मिली हो हमेशा पूर्व जन्मों का रिश्ता समझ के उसका सम्मान करना चाहिए। हमें कभी भी अपनी संतान की दूसरे बच्चों से तुलना नहीं करनी चाहिए ।इससे हमारी संतान के साथ हमारे रिश्ते खराब हो जाते हैं।


#अतिथि


आचार्य चाणक्य के अनुसार अतिथि हमेशा ही भगवान का रूप होता है। हमारे घर में जो भी आए हमें उसे हमेशा भगवान का रूप मानकर उसका आदर करना चाहिए। जो लोग अतिथि का सम्मान नहीं करते हैं मानो वे लोग भगवान का अनादर कर रहे होते हैं।

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