Monday, August 10, 2020

रोजना वाक्यात प्रेम पत्र

 परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -रोजाना वाक्यात- 

कल का शेष:-

 अगर वह सचमुच पहुंचा हुआ बुजुर्ग है तो उसकी मन की सफाई और सच्चे परमार्थ की तलब देखकर अत्यधिक खुश होगा वरना जैसे अंधा अपनी स्त्री के सिंगार की कद्र करने से लाचार होता है ऐसे ही उसका बढ़ता होगा । जो सचमुच रशीदा होते हैं वह सिर्फ दूसरों को रूहानियत का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से दुनिया में कयाम फरमाते हैं उनकी अपनी कोई स्वार्थ नहीं रहती।  जब कोई शौकीन अधिकारी उनकी खिदमत में हाजिर होता है तो वह उसके घट में अलावा रुहानियत का बीज डाल देते हैं और जब उसके घट की जमीन उस बीज को पकड़ लेती है जल्द ही फूट आता है।  

कभी-कभी तो यह बीज फौरन ही हरा हो जाता है और कभी कभी बरसों पड़ा रहता है क्योंकि परमार्थी के घट की जमीन पथरीली है और बीज को ग्रहण नही करती है। जैसे भृंगी अपने जिस्म में अपने अंडे दाखिल कर देता है और कुछ अर्से बाद वह अंडे कीट के जिस्म से परवरिश पाकर भृंगी बनकर उड़ जाते हैं ऐसे ही रुहानियत के माहिर भगत जन के हृदय में आला रुहानियत का बीज डाल देते है जो उसके तन और मन से खुराक हासिल करके विकास पाता है और 1 दिन उसके अंदर से नई पर्सनैलिटी प्रगट होकर सच्चे मालिक के चरणो की तरफ उडान करने लगती है। यह नई पर्सनैलिटी ही साधन कर सकती है ।

 यही अंतरी मकामात में रसाई हासिल कर सकती है और यही एक दिन सच्चे मालिक में जा समाती है । यह मन और बुद्धि जो हर इंसान को हासिल है महज जिस्म व दुनिया के काम चलाने के काबिल है मामूली इंसान का आपा यानी जागृत अवस्था की पर्सनैलिटी रूहानियत का इल्म व तजर्बा हासिल करने के कतई नाकाबिल है। रुहानियत के इस बीज की पहचान यह है कि जब यह कुल्ला फोडता है तो प्रमार्थी के अंदर सच्चे मालिक के मेल हासिल करने के लिए हद दर्जे का प्रेम जाग जाता है । 

उसको अपने तन मन व इंद्रियों पर बहुत कुछ काबू हासिल हो जाता है और वह महसूस करता है कि उसके अंदर एक नई ही कुव्वत व पर्सनलिटी काम कर रही है। यह पहचान हासिल होने पर मुतलाशी को कामिल इत्मीनान हो जाता है कि उसे सच्चे सतगुरु मिल गये और वह रूहानी मंजिल की सच्ची सड़क पर पड़ गया है । वरना उसका मन डामाडोल रहता है।।  

                                  

 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**



*परम गुरु हुजूर महाराज- 


प्रेम पत्र -भाग 1- कल से आगे:-(3) 


इस तौर से सब आदमी संसार ही के कारोबार में अटके रहते हैं और उसके सामान की प्राप्ति के लिए अनेक तरह के जतन और मेहनत करते हैं। और जब वह सामान हासिल होता है तब अपनी मेहनत की कामयाबी पर खुश होकर अपने तई बड़ा आदमी और भाग्यवान समझते हैं और लालच और तृष्णा बढ़ाकर आइंदा को ज्यादा जतन और मेहनत करने को तैयार होते हैं।।                           

  खुलासा यह है कि दुनियाँ ही के कामों में अपना कुल वक्त खर्च करते हैं और मन और इंद्रियों के भोगों की चाह और उसके पूरा करने की फिक्र में उम्र भर खो देते हैं और कुटुम्ब और परिवार में आसक्त होकर उनके राजी और खुश करने के वास्ते हमेशा मेहनत करते रहते हैं ।।    

                          

(4)  इस तरह पर सब जीवो के ख्याल स्वभाविक संसारी हो जाते हैं और उनका मन हमेशा दुनियाँ के कारोबार के या धन और नामवरी प्राप्त करने के बाद से तरंगे उठाया करता है और दूसरों की भलाई और बुराई बिना तहकीकात के किया करता है और अपनी कसरो पर नजर नहीं डालता है।

 क्रमशः                        

  🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


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