जिनके मन विस्वास है सदा गुरू है पास।
कोटि काल झकझोरिये तऊ न छांड़े आस।।
ब्रह्महि से जग ऊपजे. कहत. सयाने लोग ।
ताहि ब्रह्म के त्याग बिनु जगत न त्यागन जोग।।
मेरे प्रेमी भाईयों! पूरी दुनिया पर एक संकट का बादल घिर आया है । साधु - पुरुष बरसों पहले से चेतावनी दे रहे हैं कि आने वाला वक़्त बहुत खराब है । लोग अपनी आदतें और अपने विचार बदल डालें । लेकिन वह इन्सान ही क्या जो इतनी जल्दी किसी की बात मान ले । इन्सान का सबसे अज़ीज हादी ( पथप्रदर्शक ) शैतान ही है, जो शबो - रोज उसे गुमराह करता रहता है ।
मेरे प्रेमी भाईयों! आने वाले वक़्त में अंधेरे और घने होंगे और मुसीबतें ज्यादा बढ़ जाने के इम्क़ानात ( संभावनाएं ) हैं । इस मज़ीद इजाफ़े में राहत की एक ही बात हो सकती है ( प्रचुर बढ़ोत्तरी) कि आदमी तौबा इख़्तियार करे और अपनी गलतियों पर नादिम हो ।
वही बचेंगे और बचाये जायेंगे जिन्होंने इस चलती चक्की
खूंटी की शरण पकड़ ली । खूंटी के पास के दाने पिसने से बचते ही हैं । बाकी जो चक्की के दरमियान आ गया उसका राम ही मालिक जाने कि क्या होना है ।
ऐ लोगों! बदफेलियों और बदक़िरदारों से किनाराकश हो जाओ । उसके सामने रोओ, गिड़गिड़ाओ और निदामत के आंसू बहाओ । मुमकिन है कि उसकी रहमत जोश में आ जाए । बाकी तुम्हारा पढ़ा - लिखा और समझदार होना तुम्हारे हक़ में मुफ़ीद न होगा। तुम्हारा ज़ीशान व बावक़ार होना उसके सामने कौड़ियों की भी हैसियत नहीं रखता ।
हर कुज़ा अब्रे रवां गुंचा बूद ।
हर कुज़ा अश्क़े रवां रहमत बूद ।।
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मौलाना रूम रहमतुल्ल्लाह अलैहि
जब बादल बरसते हैं तो गुंजे हरे - भरे हो, खिल उठते हैं और जब आंखें बरसती हैं ( उसकी मुहब्बत में या पश्चाताप में ) तो उसकी रहमत बरस पड़ती है ।
यह एक मौका है अपने माज़ी ( भूतकाल ) के चरित्र, अपनी करतूतों और अपने बदख़याली या नेकख़याली को निरखने और परखने का ।
ऐ लोगों ! कि होश में आओ और नेकों का वसीला तलाश करो । अपने आप को उनके सुपुर्द करो कि घड़ियां बहुत नाज़ुक हैं ।
अब सब्र न हो सकेगा तुमसे कि अपनी ज़ात में तनहा हो । बे यारो मददगार। वह कबसे तुम्हारी राह देख रहा और एक तुम हो कि उससे मुंह फेरे कर बैठे हो ।
सांस - सांस में हरि भजो, वृथा जनम मति खोय।
का जाने इस सांस का आवन होय न होय।।
जेता घट तेता मता बहु बानी बहु भेष।
सब घट व्यापक होइ रहा सोई आप अलेख ।।
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मालिक दयालु दया करे
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अदना गुलाम गुलाब शाह क़ादरी
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