*राधास्वामी!! 21-08-2020-
आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) गुरुमुख प्यारा गुरु अधारा। आरत धारा री।।-( गगन सिधारा नाम सिहारा। सुन्न मँझारा री।।) (सारबचन-शब्द-21वाँ पृ।सं.155)
(2) आज बाजे मुरलिया प्रेम भरी।।टेक।। सतसंगी सब जुड मिल गावें। सतसंगिन सब उमँग भरी।।-(सत्त अलग और अगम परस कर। राधास्वामी चरनन आन पडी।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-19,पृ.सं.292)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
राधास्वामी!! आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) देख जग का ब्योहार असार। करत रहा मन में नित्त बिचार।। रहे अस मन आकाश समाय। पता निज घर का कोइ नहिं पाय।।-(चरन में गुरु के धर परतीत। बढावे छिन छिन घट में प्रीत।। ) (प्रेमबानी-3-शब्द-8,पृ.सं.346)
(2) ऐसी होली रचाई (दयाल ने) ।।टेक।। भक्ति भाव और प्रीति चाव के, निज भंडार खुलाई। दयाधार सिर बरसन लागी, प्रेम का नीर बहाई। सब रहे मल मल न्हाई।९। (प्रेमबिलास-शब्द-35,पृ.सं. 47)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-कल से आगे।। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
-आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे-( 84)
तुझ ज्ञात है कि शारीरिक और मानसिक शक्तियों को जगाने के लिए तुझे तीन बातों की आवश्यकता हुई- पहले व्यायाम सिखलाने वाले की, दूसरे व्यायाम करने की, तीसरे उचित आहार की।
आरंभ में हर बच्चे के लिए माता शिक्षक का काम देती है , फिर पिता, फिर मास्टर या अध्यापक। और यदि कोई व्यक्ति तन तोड़ कर व्यायाम करें और उचित आहार न करें तो उल्टा अस्वस्थ हो जायगा ।
इसी प्रकार कोई व्यक्ति दिन-रात मस्तिष्क खपावे और बुद्धिमानों की लेखबद्ध अन्वेषणाओं तथा आविष्कारों का उपयोग न करें तो निसंदेह विक्षिप्त हो जायगा । यह सब बातें जानते हुए तेरे लिए यह निर्णय करना कठिन न होना चाहिए कि आध्यात्मिक शक्तियों को जागृत करने के लिए किस-किस सामग्री की आवश्यकता है।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग पहला
-परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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