Monday, August 31, 2020

दयालबाग़ में सतसंग

 राधास्वामी!! 28-08-2020-

आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-     

                           

(1) मेरा जिया न माने सजनी। जाऊँगी गुरु दरबार।। प्रीति प्रतीति बढी अब हिये में। काल करम रहे हार।।-(आस भरोस धरो उन चरनन। घट में देख बहार।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-12-पृ.सं.353-54)                                                             

(2) भाग मेरे जागे भारी। सतगुरु आये पाहुना।।टेक।। चुन चुन कलियाँ सेज साजी। कँवलन का बिछावना।। अंगनियाँ में चौकी डारी। सतगुरु बिठलावना।(अरब खरब मिल चन्द सूरा रोम एक न पावना।। ऐसे मेरे प्यारे सतगुरु राधास्वामी नावना।।) (प्रेमबिलास- शब्द-41,पृ.सं. 53)  

                                    

  (3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-कल से आगे।।                  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!! 28-08- 2020 

-आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे:-(92)  

राधास्वामी-मत में संतों की वाणी के पाठ को बड़ा महत्व दिया जाता है अतएव आदेश है कि प्रत्येक सत्संगी समय निकालकर राधास्वामी दयाल तथा अन्य महापुरुषों की वाणी का समझ समझ कर पाठ करें । संतों की वाणी के पढ़ने से हृदय पर एक विशेष प्रकार का प्रभाव पड़ता है। यह वाणी प्रायः अत्यंत सरल और सुगम होती है और इसका प्रत्येक शब्द कुलमालिक के प्रेम से परिपूर्ण होता है अतएव थोड़े ही ध्यान के साथ इसका पाठ करने से मन की प्रवृति संसार से निवृति हो जाती है और चित्त में इस प्रकार का उल्लास उत्पन्न होता है कि  आप से आप सुमिरन और ध्यान बनना आरंभ हो जाता है। परंतु खेद है कि बहुत से लोग संतों की वाणी का इसलिए आदर नहीं करते कि उन्हें उसके अंतर्गत व्याकरण की अशुद्धिया ज्ञात होती है और उस कृत्रिम काव्यकला और वाक्यालंकारों का पता नहीं चलता जो लौकिक कविता की जान है ।।                 

🙏🏻राधास्वामी 🙏🏻           

                         


यथार्थ प्रकाश -

भाग पहला- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**

आज  (२८-०८-२०२०)  शाम  के  सत्संग  के  बाद  खेतों  में  हुई  अनाउंसमेंट* 


दयालबाग  में  कुछ  बुजुर्ग  भाई  व  बहने, जो  अकेले  रहते  हैं,  उनके  बीमार  पड़ने  व  हॉस्पिटल  में  भर्ती  होने  तक,  वॉलंटियर्स  की  आवश्यकता  पड़ती  है।  जिससे  उनकी  देख  बाल  सही  से  हो  सके।  सेवा  के  लिए  महिलाओं  व  पुरषों  की  आवश्यकता  है, जिनको  आवश्यकता  पड़ने  पर  ऐसे  लोगों  की  सेवा  करनी  होगी।  जो  सतसंगी  महिला  एवं  पुरुष  इस  सेवा  को  करना  चाहते  हैं  वह  अपने  जानकारी  पूर्ण  विवरण  के  साथ  एस ० एन ० सी ०  ऑफिस  में  एक  सप्ताह  के  अंदर  अथवा  ५  सितंबर  २०२०  तक  जमा  करा  दें।


 *राधास्वामी*


राधास्वामी!! 29-08-2020- 

आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-

                               

(1) जीव चिताय रहे राधास्वामी। सतपुर निज पुर अगम अधामी।। अपनी दया से गुरु दियो दाना। सेवक तो कुछ माँग न जाना।।-(राधास्वामी कहा बनाई। सदा रहे सतनाम सहाई।।) (सारबचन- शब्द-22-पृ.सं.159-60)                                   (2) आज गाजे सुरतिया अधर चढी।।टेक।। गुरु परताप चली अब घट में। सुरत शब्द की टेक धरी।।-( राधास्वामी चरन निहारे। हुई सुरत अब अजर अमरी।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-26,पृ.सं.298)                                 

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

रधास्वामी!! 30-08-2020

- आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-                                  (1) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।टेक।। जिन पर मेहर मिले सतगुरु से। सतसँग में उन बनिया डोल।।-(राधास्वामी दरस मेहर से मिलिया। पाय गई पद अगम अडोल।।) ( प्रेमबानी-3-शब्द-2-पृ.सं.2)                                  (2) राधास्वामी चरनन आइया। जागे मेरे भाग।। दरशन कर हिये हरखिया। सतसँग में चित लाग।। -(राधास्वामी हुए प्रसन्न अब दृष्टि मेहर की कीन।प्रीति प्रतीति की दात दे। मोहि अपना कर लीन।।) 

(प्रेमबानी-1-शब्द-54,पृ.सं.214) सतसंग के बाद:-                                                        

   (1) लाग री मेरी सुरत सहेली, गुरु के चरन में लाग री।।टेक।।-(राधास्वामी दयाल मेहर से, पाओ अटल सुहाग री।।) (प्रेमबिलास-शब्द-20,पृ.सं.26)                               (2) कौन सके गुन गाय तुम्हारे। कौन सके गुन गाये जी।।टेक।।-( राधास्वामी दयाल चरन की। महिमा निस दिन गाय जी।।) (प्रेमबिलास-शब्द-24,पृ.सं.29)                                     (3) तमन्ना रही है कि जब तक जिऊँ। चलूँ या फिरुँ या कि मेहनत करूँ।। पढूँ या लिखूँ मुहँ से बोलूँ कलाम। न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।। जो मर्जी तेरी के मुआफिक न हो। रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।।।                        🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

[8/31, 04:19] +91 97176 60451: **राधास्वामी!! 31-08-2020- आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-                               (1) रोम रोम मेरे तुम आधार। रग रग मेरी करत पुकार।। अंग अंग मेरा करे गुहार। बंद बंद से करुँ जुहार।। हे राधास्वामी अधम उधार। मैं किंकर तुम दीनदयार।। (सारबचन-शब्द-2-पृ.सं.162)                                                                (2) कोई निरखो अधर चढ पिछली रात।।टेक।। अमी धार पल पल हिये झिरती। घट में अती आनंद समात।।-( सात्वकी रहन रहत अस औसर। गुरु चरनन में लगन लगात।। ) (प्रेमबानी-2-पृ.सं. 298)              🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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