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*जीवन का प्रेरणा दायक बनना बहुत अच्छी बात है मगर बिना प्रेरणा लायक बने यह कैसे संभव हो सकता है ? हम दूसरों को प्रेरणा दें उससे पूर्व यह आवश्यक हो जाता है कि हम दूसरों से प्रेरणा भी लें।*
*प्रेरणा पर्वत से लेनी चाहिए जिसके मार्ग में अनेक आंधी और तूफान आते हैं मगर उसके स्वाभिमान मस्तक को नहीं झुका पाते। प्रेरणा लहरों से लेनी चाहिए जो गिरकर फिर उठ जाती हैं और अपने लक्ष्य तक पहुँचे बगैर रूकती नहीं। प्रेरणा बादलों से लेनी चहिये जो समुद्र से जल लेते हैं और रेगिस्तान में बरसा देते हैं।*
*प्रेरणा हमें वृक्षों से लेनी चाहिए, फल लग जाने के बाद जिनकी डालियाँ स्वतः झुक जाया करती हैं। और प्रेरणा उन फूलों से लेनी चाहिए जो खिलते भी दूसरों के लिए और टूटते भी दूसरों के लिए हैं। जो व्यक्ति प्रेरणा लेना जानता है उसका जीवन एक दिन स्वतः प्रेरणा दायक भी बन जाता है।*
*शब्दों के कोई भार नही,*
*पर अर्थों के होते हैं*
*आत्मा ही आहत होती है,*
*शरीर तो बस रोते हैं ....*
*जय श्री कृष्ण*
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