प्रस्तुति - अरूण - अगम यादव
[22/02, 20:08] Agra Ruarun: **राधास्वामी!! 20-02-2020-आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ- (1) राधास्वामी छबि निरखत मुस्कानी। तन मन सुध बिसरानी रे।। (प्रेमबानी-3,शब्द 3,पे.न. 177) (2) स्वामी मेहर बिचार बचन धीरज अस बोले। सुनहु भेद अब सार कहत हूँ तुमसे खोले।। (प्रेमबिलास-शब्द 72(उत्तर),पे.न. 98) (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा कल से आगे:-🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[22/02, 20:08] Agra Ruarun: **राधास्वामी!! - 20 -02- 2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 63)- जिक्र है कि एक मर्तबा कहीं पर कुछ लोग जमा थे और यह सवाल उठा कि दुनिया में सबसे दुर्लभ वस्तु क्या है। एक बुजुर्ग ने जवाब दिया/" सांप के सिर की मणि" दूसरे ने कहा-" वेद मंत्रों के अर्थ जानने वाला पंडित" और तीसरे ने कहा-" सच्चा मित्र"। अंत में सब ने यही माना कि दुनिया में सच्चा मित्र सबसे दुर्लभ है। कारण यह है कि दुनिया में मित्र तो बहुत मिलते हैं लेकिन यह सिर्फ एक हद तक मित्रता निभा सकते हैं। बाज तो सिर्फ सुख के साथी होते हैं, बाज एक हद तक दुख में मददगार होते हैं और बाज सख्त मुसीबत में भी काम आते हैं लेकिन मौत के वक्त कोई भी मित्र काम नहीं आ सकता। बीमारी, बुढ़ापा और मौत बड़े-बड़े मित्रों को जुदा व परेशान कर देते हैं लेकिन सच तो यह है कि दुनिया में सच्चे मित्रों की मांग भी नहीं है। आम लोग ऐसे ही मित्र चाहते हैं जो उनकी मर्जी के मुताबिक चलें और उन्हें बेखौफ अपने मन के अंगों में बरतने दें। जीव के सच्चे मित्र संत सतगुरु है। वह ना किसी के डराये डरते हैं, ना बहकाये बहकते हैं, जीव को हमेशा सच्ची सलाह देते हैं और उसकी हर हालत में रक्षा फरमाते हैं। जीव सो जाता है लेकिन वह सदा जागते रहते हैं, जीव उन्हें छोड़ना भी चाहे तो वह उसे नहीं छोड़ते। जीवो को चाहिए कि ऐसे सच्चे मित्र की पूरी कदर व इज्जत करनी यही है कि उनसे सच्चाई के साथ बर्ताव करें। दुनिया के मित्र जीव के मरने पर इधर ही खड़े रोते हैं और शरीर छोडने पर उसको अपने संग ले जाकर सुखधाम में बास दिलाते हैं और धीरे-धीरे उसको अपने धाम में बास पाने के लायक बनाकर अपने समान गति दिलाते है। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा**
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