प्रस्तुति - कृति सृष्टि दृष्टि अमी मेहर
*वाह रे पैसा! तेरे कितने नाम?*
मंदिर मे दिया जाये तो *( चढ़ावा )*
स्कुल में *( फ़ीस )*
शादी में दो तो *( दहेज )*
तलाक देने पर *( गुजारा भत्ता )*
आप किसी को देते हो तो *( कर्ज )*
अदालत में *( जुर्माना )*
सरकार लेती है तो *( कर )*
सेवानिवृत्त होने पे *( पेंशन )*
अपहर्ताओ के लिएं *( फिरौती )*
होटल में सेवा के लिए *( टिप )*
बैंक से उधार लो तो *( ऋण )*
श्रमिकों के लिए *( वेतन )*
मातहत कर्मियों के लिए *( मजदूरी )*
अवैध रूप से प्राप्त सेवा *( रिश्वत )*
और मुझे दोगे तो *(गिफ्ट)*
*मैं पैसा हूँ:!*
मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते; मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ।
*मैं पैसा हूँ:!*
मुझे पसंद करो सिर्फ इस हद तक कि लोग आपको नापसन्द न करने लगें।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं नमक की तरह हूँ; जो जरुरी तो है मगर जरुरतसे ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है।
*मैं पैसा हूँ:!*
इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जिनके पास मैं बेशुमार था; मगर फिरभी वो मरे और उनके लिए रोने वाला कोई नहीं था।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं कुछ भी नहीं हूँ; मगर मैं निर्धारित करता हूँ; कि लोग आपको कितनी इज्जत देते है।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं आपके पास हूँ तो आपका हूँ:! आपके पास नहीं हूँ तो; आपका नहीं हूँ:! मगर मैं आपके पास हूँ तो सब आपके हैं।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं नई नई रिश्तेदारियाँ बनाता हूँ; मगर असली औऱ पुरानी बिगाड़ देता हूँ।
*मैं पैसा हूँ:!*
मैं सारे फसाद की जड़ हूँ;
मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे ही इतना पागल बने रहते हैं:?।
नमस्ते
🤔🤔😇😇😍😍👌👌🙌🙌😲😲🤣
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