प्रस्तुति - सृष्टि, दृष्टि, अमी ।
[26/02, 03:21] +91 94162 65214: **राधास्वामी!! 26-02-2020 आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ:- (1) मैं प्यारी प्यारे राधास्वामी की। गुन गाऊँ उनका सार।। मैं प्यारी प्यारे राधास्वामी की। लोभ भी मारा बडा लबार।। (सारबचन-शब्द-दूसरा,पे.न. 40) (2) सुरतिया प्रीति करत। सतगुरू से भाव जगाय।। (प्रेमबानी-2,पे.न.193)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[26/02, 14:33] +91 94162 65214: *राधास्वामी!!
26-02-2020-आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) प्यारे लागे री मेरे दातार, सतगुरू प्यारे लागे।। प्यारे लागे री हैरत रुप, सतगुरू प्यारे लागे।।(प्रेमबानी-3-शब्द-5पे.न.187)
(2)
मेहर भरे सुन बोल घटा घर साथ वक छाई। रिमझिम बरषा लाय धार जल नैन बहाई।। स्वामी परम दयाल मेहर तब कीन्हा नवीना। धर सेवक सिर हाथ भचन मुख ऐसा किन्हा।।
(प्रेमबिलास-शब्द-73,पे.न.103)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*
[26/02, 14:33] +91 94162 65214: *राधास्वामी!!-
26 -02- 2020 -
आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन-
कल से आगे:
-(69 )
मनुष्य संसार में 30 या 35 वर्ष तक दूसरों की दिल और जान से सेवा करता है और अपनी उम्र का सबसे अच्छा हिस्सा इसी में सर्फ कर देता है मगर उसे इनाम यह मिलता है कि बूढ़ा हो जाने पर काम से हटा दिया जाता है और चूँकी अब किसी दूसरे काम के लायक नहीं रहा है इसलिए बाकी उम्र निहायत परेशानी में गुजारता है । हजारों लाखों आदमी संसार के इस इंतजाम के नुक्स की वजह से दुख सह रहे हैं लेकिन तो भी बोध नहीं होता कि संसार का इंतजाम असार व असत्य है। जो जीव संसार के कार्यमात्र संबंध रखते हैं और अपनी जिंदगी मालिक की सेवा में सर्फ करते हैं वह आराम से रहते हैं, क्योंकि मालिक का यह दस्तूर नहीं है कि समय बीतने पर सेवक को अपने दर से धकेल दें। ज्यों ज्यों समय गुजरता है मालिक अपने भक्तों को ज्यादा से ज्यादा नजदीकी बख्शता है और एक दिन अपने चरणों में मिला लेता है। इस गति के प्राप्त होने पर जो आनंद भक्तजन को प्राप्त होता है उसका कोई वार पार नहीं है।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
(सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा)*
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