प्रस्तुति - धीरेन्द्र किशोर
**राधास्वामी!! 27-02- 2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(70) बाज संगतो में प्रार्थना करने पर बड़ा जोर दिया जाता है और उसके अंदर ऐसे बहुत से लोग मिलते हैं जो घंटों तक प्रार्थना कर सकते हैं । राधास्वामी मत में प्रार्थना करना मना नहीं है लेकिन यह सिखलाया जाता है कि जो कुछ मालिक के चरणो में पेश करना हो थोड़े से लफ्जों में अर्ज करो और वह भी अपना रोजाना अभ्यास करने के बाद । मालूम हो कि असली फायदा सुमिरन, ध्यान, व भजन करने में है। जो शख्स चित्त लगाकर अभ्यास करता है उसे प्रार्थना करने के लिए बहुत कम मौका होता है क्योंकि अव्वल तो मालिक अंतर्यामी खुद ही उसकी सब जरूरतें पूरी कर देता है और दोयम् उसे शौक राजी ब रजा रहने का हो जाता है। लंबी चौड़ी प्रार्थनाएँ चंचल चित्त ही कर सकता है। जब मनुष्य किसी हाकिम के रूबरू जाता है तो लंबी चौड़ी बातें नहीं बनाता है और जब कोई राजा या बादशाह के रूबरु पेश होता है तो और भी थोड़ा बोलता है, फिर सच्चे मालिक के हुजूर में पेश होकर कैसे मुमकिन है कि कोई प्रेमीजन लंबी चौड़ी कथाएं सुनाने का साहस करें? अगर यह सच्चा प्रेमी है तो अपनी सब संसारी जरूरतें भूलकर दर्शनरस में लीन हो जाएगा या नाम के उच्चारण का आनंद लेगा।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा**
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