प्रस्तुति - अरुण यादव
राधास्वामी धरा नर रूप जगत में,
गुरु होय जीव चिताय,।
जिन जिन माना बचन समझ के,
तिन को संग लगाए।।
- राधास्वामी दयाल जो की सब जीवों के परमपिता है,उन्होंने अपने निजधाम से इस संसार में आकर नर रूप धारण किया है और गुरु के रूप में समस्त जीवों की चेतना को जागृत कर रहे हैं।जो जो जीव अपने उद्धार यानी इस भवसागर को पार करके अपने निज धाम अर्थात अपने असली घर में पहुंचने के लिए उनके बचनों तथा उनके द्वारा बताई गई करनी एवम् साधन को करते हैं,वह उनको अपना कर तथा उपदेश दे कर/दिलवाकर अपने चरणों में लगा लेते हैं अर्थात मालिक के चरणों से निकलने वाली राधास्वामी नाम की धुन से जोड़ देते हैं और जीव इसी शब्द धुन को पकड़ कर मालिक के चरणों में पहुंच कर अपना उद्धार करवा लेते हैं...!!!
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