प्रस्तुति - उषा रानी /
राजेंद्र प्रसाद सिन्हा
संत सतगुरु के सतसंग और वचन से यह फायदे हासिल होंगे। (१) संशय, भरम और गफलत दूर होंगे (२) फिजूल तरंग और दुनिया के सामान में पकड़ हलकी हो जायेगी, (३) सतसंग करने वाले की समझ और बूझ बढ़ेगी (४) प्रीत और प्रतीत कुल्ल-मालिक और सतगुरु के चरना में पैदा होकर बढ़ती जावेगी, (५) भेद रास्ते का और जुगत उसके तै करने और कुल्ल - मालिक के धाम में पहुँचने राधास्वामी के लिए की दरियाफ्त होवेगी, (६) दुनिया की असलियत और उसकी नाशमानता और धोखे की जगह होने की खबर पड़ेगी। (७) अंतर अभ्यास और रास्ता तै करने में मदद मिलेगी (5) जब बचन सुनकर और अन्तर अभ्यास करके मन और बुद्धि निर्मल होवेंगे, तब सतसंगी जीव की रहनी भी दुरुस्त होती जावेगी और परमार्थी रंग चढ़ता जावेगा, (सुरत शब्द मार्ग का निश्चय आवेगा और अभ्यास दुरुस्ती से से बन पड़ेगा और अन्तर में कुछ रस भी मिलता जावेगा, (१०) राधास्वामी दयाल के दर्शन से उमंग और शोक पैदा होकर बढ़ेंगे , ( ११ ) मन के विकारी अङ्ग घटते जावेंगे, और (१२) निर्मलता और सकारी यानी शुभ अङ्ग पैदा होते जावेंगे।
राधास्वामी।
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