प्रस्तुति - स्वामी शरण /दीपा शरण
आगरा। राधास्वामी मत की स्थापना 1861 में बसंत पंचमी के दिन हुई थी। आगरा की तंग पन्नी गली में हजूर महराज के आग्रह पर स्वामी जी महाराज ने राधास्वामी मत को प्रकट किया था। यही कारण है कि पन्नी गली में हजूर महाराज की साधना स्थली पर मत्था टेकना हर सत्संगी अपना कर्तव्य मानता है। राधास्वामी मत को आज 158 साल हो गए हैं। राधास्वामी मत को मानने करोड़ों लोग हैं। ये देश-विदेश में फैले हुए हैं। हजूरी भवन, पीपलमंडी, आगरा में आज भी आध्यात्मिक जागरण हो रहा है। यहीं पर द्वितीय आचार्य हजूर महाराज की समाध है। एक शोध का निष्कर्ष है कि हजूरी समाध पर की गई पच्चीकारी ताजमहल से भी सुंदर है। दयालबाग और स्वामी बाग भी राधास्वामी मत मानने वालों का केन्द्र बना हुआ है। स्वामी बाग में बना राधास्वामी मंदिर (दयालबाग मंदिर) की शान ही निराली है।
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