Tuesday, February 25, 2020

संतमत में मुक्ति या उद्धार





प्रस्तुति - उषा रानी /
  राजेंद्र प्रसाद सिन्हा 




**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

- सत्संग के उपदेश-( भाग 2)-( 29 ) 


【मुक्ति अवस्था का वर्णन।】


:- प्रश्न है कि संतमत में मुक्ति अवस्था का किस प्रकार वर्णन किया गया है?  मुक्ति अवस्था चुकी ज्ञानेंद्रियों व स्थूलल बुद्धि की पहुंच से परे की हालत है इसलिए रोजाना महावरे के अल्फाज उसका बयान करना एक निहायत कठिन बल्कि नामुमकिन बात है। जो बात सर्व साधारण के तजरुबें में न आई हो। उसका वर्णन करने के लिए आमतौर पर तजुर्बे में आने वाली मगर उससे मिलती-जुलती बातों की उपमा यानी नजीर दी जाती है । मसलन अमृत का वर्णन करने के लिए दूध की सफेदी , बर्फ की ठंडक, चीनी की मिठास, और पानी की तरलता से काम लिया जाता है । इसी तरह की अवस्था का वर्णन करने के लिए इंसानी जिंदगी के निर्मल व गहरे रस व आनंद की अवस्था का जिक्र किया जाता है मगर जाहिर है कि इस किस्म का बयान कतई अधूरा है। संतमत में बतलाया गया है कि सब जानदारों के अंदर एक चेतन जौहर विराजमान है जो सुरत आत्मा या रूह के नाम से पुकारा जाता है। हालते मौजूदा में यानी पृथ्वी पर निवास करते हुए सुरत का तअल्लुक़ मन व शरीर से हो रहा है और ये दोनों मन व शरीर  सुरत से जान पाकर चेतन हो रहे हैं और जैसे 1 एलेक्ट्रों मैगनेट के अंदर,जिसमें अजखुद कोई चुम्बकीय शक्ति नहीं होती , बिजली के गुजर होने से जबरदस्त चुंबकीय शक्ति पैदा हो जाती है ऐसे ही मन से (जो की जड़ है ) सुरत की धार का संयोग होते ही मन के अंदर हरकत आ जाती है। क्रमशः🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


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