प्रस्तुति - अरूण अगम विमला
राधास्वामी!!
29-02-2020-
आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) मैं प्यारी प्यारे राधास्वामी की। गुन गाऊँ उनका सार।। मैं प्यारी प्यारे राधास्वामी की। सुनी घट में रारंकार।।(सारबचन-शब्द-दूसरा,पे.न.43)
(2) सुरतिया धोय रही अब चूनर मैल भरी।।
(प्रेमबानी-2,शब्द-78,पे.न.196)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*
*राधास्वामी!!
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) राधास्वामी संग लगाई, मोहि बचन सुनाई, हिये प्रीति बढाई रे। राधास्वामी ३, प्यारे राधास्वामी रे।।
(प्रेमबानी-3,शब्द-दूसरा,पे.न.181)
3) सुन सेवक की माँग हुए स्वामी अति मगना। गहरी मेहर बिचार मृदु अस बोले बचना।।इक इक के ढिंग जाय कहा तब बाल पुकारु। मैं हूँ बाल अनाथ पिता बिन भया दुखारी।
।(प्रेमबिलास-शब्द-74,पे.न.104)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे:
-( 72 )
अगर कोई सत्संगी यह ख्याल करता है कि महज रूपए पैसे खर्च करने से जीव का कल्याण हो सकता है तो यह उसकी बड़ी भूल है । यह ठीक है कि सत्संग में रूपए पैसे भेंट करने से सत्संगी का धन में मोह कम होता है और उसे गुरु महाराज की दया प्राप्त होती है और जया प्राप्त होने से उसका चित्त शुद्ध होता है और बुद्धि निर्मल होती है और चित्त शुद्ध व बुद्धि निर्मल होने से परमार्थ कमाने में सहूलियत रहती है और बुरे कर्मों से बचाव रहता है लेकिन ये फायदे तब होते हैं जब रुपया पैसा प्रेम व श्रद्धा से भेंट किया जावे । जो लोग प्रेम व श्रद्धा के बजाय महज दिखलावे या कोई दुनियावी नफा हिसिल खरने की गरज से रुपया पैसा भेंट करते हैं वे नुकसान में रहते हैं ।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा।*
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