Wednesday, February 26, 2020

सर्वोत्तम माया निरोगी काया







 प्रस्तुति - रीना शरण / आशा सिन्हा


[26/02, 05:20]

Morni कृष्ण मेहता: यस्त्विन्द्रियाणि मनसा,
       नियमयरभते$र्जुन।
कर्मेन्द्रियैः कर्मयोगम-
       शक्तः स विशिष्यते।।
नियतं कुरु कर्म त्वं,
      ज्यायो ह्यकर्मणः।
शरीरयात्रापि च ते,
       न प्रसिद्ध्येदकर्मणः।।

जो मनुष्य मन और इन्द्रियों को बस में करके विषयो से अनाशक्ति रखते हुए इन्द्रियों से उनके समस्त विषयों का भोग करते हुए कर्मयोग का आचरण करता है वही मनुष्य श्रेष्ठ होता है , कर्म न करने की अपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है क्योकि कर्म करने से ही जीबन निर्वाह संभव है अतः मनुष्य को मन और इन्द्रियों पर नियंत्रण कर अनाशक्त भाव से विषयो का भोग करते हुए शास्त्र सम्मत सामाजिक मान्यताओं के अनुसार दूसरो के हितों को अक्षुण्य रखते हुए नित्त नैमित्तिक कर्तव्य कर्म करना चाहिए।


[26/02, 05:21] Morni कृष्ण मेहता:

खाने के तुरंत बाद नहीं करना चाहिए ये काम, क्योंकि...
सुखी जीवन के लिए जरूरी है व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ रहे, निरोगी रहे। यदि किसी इंसान के पास काफी धन है, सभी सुविधाएं हैं लेकिन यदि वह शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो उसका जीवन सुखी नहीं हो सकता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त भोजन सही समय लेना अतिआवश्यक है। भोजन की महत्ता को देखते हुए शास्त्रों में कुछ बहुत खास नियम बताए गए हैं जिनका पालन किया जाना अनिवार्य है।
वेद-पुराण और विद्वानों के अनुसार भोजन के समय ध्यान रखना चाहिए कि हम किसी अन्य व्यक्ति को अपना जूठा खाना न दें। यदि किसी व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी है तो उसका जूठा भोजन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही ध्यान रखें कि यदि कोई व्यक्ति भोजन कर रहा हो तो हमें उसके साथ बीच में खाना नहीं खाना चाहिए। ये बात शिष्टाचार से नियमों के विरुद्ध है।
भोजन इतना ही खाना चाहिए जितना हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक रहे। न तो ज्यादा भोजन करें और ना ही कम। जरूरत से कम या अधिक भोजन करने पर पेट संबंधी बीमारियां होने की संभावनाएं रहती हैं। अधिक भोजन से आलस्य बढ़ता है। कम भोजन से हमारे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त नहीं हो पाती है। खाना वहीं खाएं जो आपके स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है।
इस संबंध में सबसे जरूरी बात यह है कि भोजन करने के तुरंत बाद व्यक्ति को बिना मुंह और हाथ साफ किए कहीं इधर-उधर जाना नहीं चाहिए। जूठे मुंह और हाथों से घर में घुमना अशुभ माना जाता है। घर में खाने के बाद ऐसा करते हैं तो इससे हमारे हाथों में लगी जूठन कहीं गिर सकती है, जो कि घर को अपवित्र बनाती है। इस प्रकार की अपवित्रता का अशुभ प्रभाव घर में रहने वाले सभी सदस्यों पर पड़ता है। इसीलिए ध्यान रखें कि भोजन के तुरंत बाद सबसे पहले शुद्ध पानी से हाथ और मुंह अच्छे साफ कर लेना चाहिए।


[26/02, 17:38] Morni कृष्ण मेहता:


🌹टाइफाइड -आयुर्वेदिक उपाय 🌹 :

🌹गिलोय का काढ़ा 1 तोला को आधा तोला शहद में मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाना लाभकारी है ।

🌹अजमोद का चूर्ण 2 से 4 ग्राम तक शहद के साथ सुबह शाम चाटने से लाभ होता है।

🌹मोथा, पित्त पापड़ा, मुलहठी, मुनक्का चारों को समभाग लेकर अष्टावशेष क्वाथ करें। इसे शहद डालकर पिलाने से ज्वर, दाह, भ्रम व वमन आदि नष्ट होते हैं।

🌹नीम के बीज पीसकर 2-2 घंटे के बाद पिलाने से आन्त्रिक ज्वर उतर जाता है । यह योग मल निकालता है। शरीर में ताजा खून बनाता है, नयी शक्ति का संचार करता है । यदि मलेरिया बुखार से टायफाइड बना हो तो नीम जैसी औषधि के अतिरिक्त अन्य कोई सस्ता और सहज शर्तिया उपचार नहीं है ।

🌹 जीरे को जल के साथ महीन पीसकर 4-4 घंटे के अंतर से ओष्ठों (होंठ के किनारों पर लेप करने से ज्वर उतरने के पश्चात् ज्वरजन्य ओष्ठ-प्रकोप बुखार का मूतना) अर्थात् होठों का पकना व फूटना ठीक हो जाता है ।

🌹जीरा सफेद 3 ग्राम 100 मि. ली. उबलते जल में डाल दें । इसे 15-20 मिनट के बाद छानकर थोड़ी शक्कर मिलाकर रोगी को दें। 10-15 दिनों तक निरन्तर प्रात:काल में पीने से ज्वर उतरने के पश्चात् आने वाली कमजोरी व अग्निमान्द्य नष्ट होकर भूख खुलकर लगने लगती है।

🌹टाइफाइड के बाद सावधानी :

1- पहले लक्षण दिखलायी देने के 8 सप्ताह तक रोगी को दूसरे स्वस्थ एवं निरोगी व्यक्तियों से अलग रखना चाहिए।

2- रोगी के सम्पर्क में आने वालों को टीका लगवायें, दूध और पानी उबाल कर दें, कच्चे फल एवं शाक आदि न दें तथा रोगी द्वारा छुई हुई (पकड़ी या प्रयोग में लाई गई) प्रत्येक वस्तु का शुद्ध करना चाहिए।

3- रोगी को पूर्ण विश्राम दें। 2-घूमने-फिरने न दें।

4- रोगी के बिस्तर एवं कमरे में स्वच्छता बनाये रखें। विशेषतः रोगी का बिस्तर 1-1 दिन बाद बदलवा दें तथा रोगी द्वारा प्रयोग में लाया गया बिस्तर को पूरे दिन की धूप दिखला दें। रोगी के कमरे में सूर्य का प्रकाश (रोशनी) एवं शुद्ध वायु आनी जरूरी है।

5-रोगी को अकेला न छोड़ें किन्तु उसके कमरे में अधिक भीड़-भाड़ भी न हो ।

6- रोगी के पेट, मल-मूत्र, पीठ, नाड़ी, तापमान तथा दिन में पिये जल की मात्रा का पूर्ण विवरण बनाये रखें। 7-रोगी का मुख खूब अच्छी तरह कुल्ले करवाकर शुद्ध रखना चाहिए।

8- मुँह आने और होंठ पकने पर ‘बोरो गिलेसरीन’ लगावें। रोगी की अन्तड़ियों का वायु से बहुत अधिक फूल जाना इस रोग का बुरा लक्षण है।

9- तारपीन का तेल 5 मि.ली. सवा किलो गरम पानी में मिला कर इसमें फलालेन का कपड़ा (टुकड़ा) भिगो एवं निचोड़कर गद्दी बनाकर पेट पर बाँध दें। रोगी को आराम मिलेगा।

10- दालचीनी का तेल 2-3 बूंद पेट फूलने, पेट में दर्द तथा पेट में वायु पैदा होने के लिए अत्यन्त लाभकारी है।

11- केओलिन पाउडर (चीनी मिट्टी का पिसा छना बारीक चूर्ण) या एन्टी फ्लोजेस्टिन की गर्म-गर्म पुल्टिस पूरे पेट पर फैलाकर ढंक देने से भी पेट फूलने को आराम आ जाता है।

12- घर के दरवाजे एवं खिड़कियाँ बन्द करवाकर रोगी का शरीर खौले हुए मामूली गर्म पानी से पोंछवा दें। अधिक दिनों तक लगातार शैय्या पर रहने के कारण रोगी को जो ‘शैय्या क्षत’ (बिस्तर के घाव) कमर, पीठ, कूल्हों आदि में हो जाते हैं, वे न होने पायें, इसका ध्यान रखें।

🌹टाइफाइड में क्या खाएं क्या न खाए :

1- रोगी को तरल, पुष्टिकर, लघुपाकी, आहार जैसे गाय के दूध में ग्लूकोज मिलाकर दें।

2- पेट बहुत अधिक फूल जाने पर तथा समय से सही चिकित्सा न करने पर रक्त में विषैले प्रभाव फैल जाने या अन्तड़ियों में छेद हो जाने का डर उत्पन्न हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में-कम मात्रा में भोजन खिलायें। 3-दही का मट्ठा पानी में घोलकर दूध के स्थान पर दें।

4- मीठे सेव का रस पिलायें।

5- दूध के स्थान पर दही का मट्ठा थोड़ी मात्रा में बार-बार पिलाते रहने से दस्तों में भी आराम आ जाता है।

6- तीन-चार बूंद दालचीनी का तेल’ ग्लूकोज आदि में मिलाकर रोगी को 2-2 घन्टे बाद खिलाते रहने से दस्तों की बदबू, पेट की वायु और कई दूसरे कष्ट दूर हो जाते है।

7- रोगी को रोग की प्रथमावस्था में सादा सुपाच्य भोजन दें।

8- यदि पतले दस्त न हों तो दूध दें।

9- अफारा हो तो ग्लूकोज दें।

10-रोगी को किसी भी कड़ी वस्तु का पथ्य न दें।
[26/02, 17:38] Morni कृष्ण मेहता: *तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च समान मात्रा में पीस लें। इसकी मूंग के बराबर की गोलियां बना लें। एक-एक गोली को चार बार देना चाहिए। इससे कुकर (काली) खांसी नष्ट हो जाती है।*

*5 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम पिपली और 20 ग्राम अनारदाना को पीसकर इसमें गुड़ मिलाकर चने के आकार की गोलियां बना लें। फिर इन गोलियों को छाया में सुखाकर रख लें। इसकी 1-1 गोली को दिन में 2-3 बार चूसने से काली खांसी दूर हो जाती है*

*केले के सूखे पत्तों को जलाकर राख बना लें। इस राख को थोड़ी सी मात्रा में लेकर शहद में मिलाकर रोगी को दिन में 3-4 बार देने से काली खांसी दूर हो जाती है*

*बड़ी इलायची के दानों को तवे पर भूनकर उसमें बराबर मात्रा में सौंफ, मुलहठी और मुनक्का (बीज निकालकर) पीसकर चूर्ण बना लें। इसके एक चौथाई ग्राम से भी कम चूर्ण को शहद में मिलाकर रोजाना 2-3 बार चाटने से काली खांसी में लाभ मिलता है।*

*100 से 250 मिलीलीटर काली बकरी का दूध दो सप्ताह तक पिलाने से काली खांसी दूर हो जाती है*

*फिटकरी को दरदरा (मोटा-मोटा) पीसकर तवे पर भूनते समय केले के पेड़ के गूदे का पानी 100 मिलीलीटर थोड़ा-2 कर गेरते जाएं फिर इसे उतारकर ठंड़ा करके पीस लें। इसे एक चौथाई ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम चटाएं। इससे काली खांसी का प्रकोप शान्त हो जाता है।*

*लगभग आधा ग्राम भुनी हुई फिटकरी तथा आधा ग्राम मिश्री को मिलाकर सुबह-शाम रोगी को खिलाने से पांच दिनों में ही कालीखांसी दूर हो जाती है। वयस्कों (बालिग व्यक्तियों) को काली (कुकुर) खांसी होने पर उन्हें दुगुनी मात्रा में देना चाहिए। यदि बिना पानी के निगल न सके तो एक-दो घूंट गर्म पानी ऊपर से पिलाना चाहिए।*

*थोड़ी सी भुनी हुई फिटकरी लेकर इसमें थोड़ी सी शक्कर मिलाकर दिन में 3 बार खाने से 5 दिन में ही खांसी ठीक हो जाती है।*

*एक चौथाई ग्राम से कम मात्रा में फिटकरी की भस्म को सुबह-शाम लगभग आधा ग्राम काकड़ासिंगी के चूर्ण और शहद को मिलाकर देने से बहुत अच्छा लाभ मिलता है।*

*चने की दाल के बराबर पिसी हुई फिटकरी को गर्म पानी से रोजाना 3 बार लेने से कुकुर खांसी ठीक हो जाती है।*

*10 बून्द  पान के पत्तों के रस में शहद मिलाकर 1-1 बार चाटने से काली खांसी में बहुत अधिक लाभ मिलता है।*

*हल्दी की 3-4 गांठों को तोड़कर तवे पर भूनकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी से लेने से कालीखांसी में आराम आता है।*

*तवे को आग पर रखकर लौंग को भून लें, फिर उस लौंग को पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है।*

*थोड़ी-सी लौंग तवे पर भूनकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रखें। इस लौंग के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से कालीखांसी दूर हो जाती है।*

*बच्चों को काली खांसी में एक चौथाई ग्राम से कम गोलोचन को सुबह-शाम शहद के साथ चटाने से लाभ मिलता है।*

*गोलोचन शुद्ध होना चाहिए क्योंकि यह मार्केट में बहुत अधिक मात्रा में नकली पाये जाते हैं।*

*सुहागा, कलमीशोरा, फिटकरी, कालानमक और यवक्षार को पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। फिर इसे तवे पर भूनकर 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद को मिलाकर बच्चों को चटाने से कालीखांसी दूर हो जाती है।*

*तवे पर भुना हुआ सुहागा व वंशलोचन को मिलाकर शहद के साथ रोगी बच्चे को चटाने से कालीखांसी दूर हो जाती है*


[26/02, 17:38] Morni कृष्ण मेहता:


एसीडिटी का इलाज

"1) आंवला चूर्ण को एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आपको एसीडिटी की शिकायत होने पर सुबह- शाम आंवले का चूर्ण लेना चाहिए।
  2) अदरक के सेवन से एसीडिटी से निजात मिल सकती हैं, इसके लिए आपको अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर गर्म पानी में उबालना चाहिए और फिर उसका पानी अदरक की चाय भी ले सकते हैं।
 3) मुलैठी का चूर्ण या फिर इसका काढ़ा भी आपको एसीडिटी से निजात दिलाएगा इतना ही नहीं गले की जलन भी इस काढ़े से ठीक हो सकती है।
 4) नीम की छाल को पीसकर उसका चूर्ण बनाकर पानी से लेने से एसीडिटी से निजात मिलती है।
 5) इतना ही नहीं यदि आप चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहते तो रात को पानी में नीम की छाल भिगो दें और सुबह इसका पानी पीएं आपको इससे निजात मिलेगी।
  6) मुनक्का या गुलकंद के सेवन से भी एसीडिटी से निजात पा सकते हैं, इसके लिए आप मुनक्का को दूध में उबालकर ले सकते हैं या फिर आप गुलकंद के बजाय मुनक्का भी दूध के साथ ले सकते हैं।
 7) अधिक मात्रा में पानी पीने, दोपहर के खाने से पहले पानी में नींबू और मिश्री का मिश्रण, नियमित रूप से व्यायाम और दोपहर और रात के खाने के बीच सही अंतराल आदि सावधानियों से एसिडिटी की समस्या से बचा जा सकता है।"

🍎🍎🍎🍎🍎


[26/02, 17:38] Morni कृष्ण मेहता:


महिलाओं को क्यों खानी चाहिए कसूरी मेथी,

मेथी की खास बात ये हैं कि इसके पौधे से लेकर बीज तक का इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने के काम आता है. मेथी के अलावा इसकी एक और वेराइटी होती है जिसे हम कसूरी मेथी के नाम से जानते हैं.

कसूरी मेथी खाने की खूशबू बढ़ाने के काम आती है ये बात तो ज्यादातर लोग जानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कसूरी मेथी हमारी सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.



आयुर्वेद में भी कसूरी मेथी को औषधि माना गया है और इसका उपयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है.

आइए जानें, कसूरी मेथी के  फायदों के बारे में...



1. एनीमिया

महिलाओं में खून की कमी यानि एनीमिया की बीमारी को अक्सर ही देखा जाता है. इसी समस्या को घर पर ही सही डाइट की मदद से आसानी से ठीक किया जा सकता है. मेथी को अपने खाने का हिस्सा बनाएं. मेथी का साग खाने से एनीमिया की बीमारी में लाभ मिलता है.

2. ब्रेस्टफीड कराने वाली मांओं के लिए
ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं के लिए भी कसूरी मेथी काफी फायदेमंद रहती है. कसूरी मेथी में पाया जाने वाल एक तरह का कंपाउंड, स्‍तनपान करवाने वाली महिलाओं  के ब्रेस्‍ट मिल्‍क को बढ़ाने में मदद करता है.

3. हार्मोनल चेंज को कंट्रोल करने में
कसूरी मेथी महिलाओं में होने वाली सबसे बड़ी समस्याओं में से एक मेनोपॉज में होने वाली परेशानी में भी बचाता है. कसूरी मेथी में phytoestrogen काफी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो मेनोपॉज के दौरान हो रहे हार्मोनल चेंज को कंट्रोल करता है.

4. ब्‍लड शुगर से बचाव

स्‍वाद में थोड़ी कड़वी मेथी लोगों को डायबिटीज से बचाने के भी काम आती है. एक छोटे चम्मच मेथी दाना को रोज सुबह एक ग्लास पानी के साथ लेने से डायबिटीज में राहत मिलती है.

 शोधकर्ताओं का मानना है कि कसूरी मेथी टाइप 2 डायबिटीज में ब्लड में शुगर के स्तर को कम करती है.

5. पेट के इंफेक्‍शन से बचाए

पेट की बीमारियों से बचना चाहते हैं तो इसे अपने खाने का हिस्सा बनाएं. इसी के साथ यह हार्ट, गैस्ट्रिक और आंतों की समस्‍याओं को भी ठीक करती है.


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