प्रस्तुति- संत शरण /
रीना शरण अमी शरण
**परम गुरु हुजूर महाराज
- प्रेम पत्र -भाग 1-(9)-
【 उपदेश शब्द के अभ्यास का ।】
:-इस दुनियाँ में सब जीवों के मन में चाह सुख की मालूम होती है और हर रोज उसके वास्ते मेहनत मशक्कत करते हैं। और जो कुछ सुख यहां के हासिल होते हैं अगर पूरे पूरे नहीं मिलते और जो मिले तो वह सब नाशवान है और उसमें आनंद थोड़ी देर का है।।
अक्लमंद वह है जो दुनियाँ के हाल और सुखों को देखकर कोई यहां ठहराऊ नहीं है खोज यानी तलाश करें कि परम सुख, जो हमेशा एक रस कायम रहे, वह कहां है। और जब कि इस दुनिया के छोटे-छोटे सुखों के वास्ते उम्र भर खपता रहता है और फिर वे सब सुख यहां के यहीं छोड़ जाता है, फिर उस सुख के लिए जो हमेशा एक रस रहे जरूर तवज्जह करना मुनासिब मालूम होता है। दुनिया के सुखों की प्राप्ति की ख्वाहिश में बारंबार जन्मना और मरना पड़ता है । इसलिए हर एक को चाहिए कि इनमें प्रीति कम करें और ऐसे मुकाम के हाजिर करने के वास्ते कोशिश करें कि जहां हमेशा पूरा आनंद प्राप्त होवे।।
विचारवान आदमी इस दुनिया की नाशवान हालत को देखकर जरूर दिल में ख्याल करता है कि कोई ऐसा स्थान भी है जो अमर होवे और जो सर्व सुख का भंडार हो, और जिसकी प्राप्ति के लिए एक बार मेहनत करनी पड़े और फिर हमेशा का आनंद प्राप्त होवे और बार-बार मेहनत न करनी पड़े , जैसे यहां हर दिन में नए सिरे से मेहनत करके दुनिया के सुख मिलते हैं और मरने के वक्त एकदम सब छोड़ने पड़ते हैं।
क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
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