**राधास्वामी!! 16-04-2020- आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ- (1) बिरहन स्रुत तजत भोग। गुरु चरनन रतियाँ।।टेक।। (प्रेमबानी-3,शब्द-3,पृ.सं.223) (2) राधास्वामी नाम जपो मेरे भाई। राधास्वामी धाम सहज मिल जाई।। जो जन राधास्वामी सरनी आये। राधास्वामी उनको लियि अपनाये।।(प्रेमबिलास-शब्द-99,पृ.सं.142-43) (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा- परसों से आगे।। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 16-04 -2020 - आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- परसों से आगे:-( 109 का शेष) भगवंत की प्रसन्नता का ख्याल छोड़ कर या स्वार्थ का ख्याल दिल में ला कर जो काम किया जाता है वह सब अपने मन की गुलामी है । जो लोग भगवंत की प्रसंन्नता मुख्य रखकर काम करते हैं और स्वार्थ का ख्याल छोड़ कर सेवा करते हैं , उन्हें भगवंत की जानिब से दो किस्म के परचे मिलते हैं। अव्वल अंतर में भगवंत के दर्शन और दोयम् परमार्थ और स्वार्थ में कमाल दर्जे की सहूलियत। जिन भक्ति मार्ग पर चलने वालों को ये परचे ना मिले तो वे समझ ले कि उनकी भक्ति में कसर है। अपने भगवंत की प्रसन्नता को मुख्य रखकर हर काम करना , सेवा करते वक्त किसी स्वार्थी गरज को मन में न आने देना, सेवा सिर्फ भगवंत की प्रसन्नता हासिल करने की गरज से करना और जवाब में भगवंत की प्रसन्नता और दया व मेहर के पर्चे पाकर हंसते खेलते संसार सागर से पार होकर अपने भगवंत राधास्वामी दयाल के चरणों में समा जाना ही राधास्वामी मत है।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा।।**
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