जब हम सिमरन करते है तो सन्त सतगुरु खुश होते है और अपनी दया मेहर का खजाना हमारे लिए खोल देते है।
हमे क्या करना है हमे सिमरन को हर समय जुबान पर रखना है। और जीते जी मरना है। जो कोई विरला ही कर सकता है।
। नानक जीवित मर रहिए, ऐसा जोग कमाईये।
.......राधा स्वामी जी.........
*हमें फिर एक बार मनुष्य-जीवन का महान अवसर मिला है हम मनुष्य-जन्म में गुरु की शरण लेकर ऐसी करनी कर सकते है जिससे हम सदा के लिये अलग-अलग योनियों से मुक्त हो सकते है इसलिए यह हमारा मनुष्य-जन्म करोड़ों-अरबों अमूल्य हीरों से भी कही अधिक मूल्यवान है.....*
No comments:
Post a Comment