**राधास्वामी!!
30-04-2020-
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-
(1) चलो प्रेम सभा से मिलो री सखी। जहाँ राधास्वामी गुन नित गाय रहे।। टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-1"प्रेम लहर-भाग दूसरा"-पृ.सं.240)
(2) स्वामी तुम अचरज खेल दिखाया।।टेक।। मेहर दया का धार भरोसा चरनन में चल आया। मेहर भरी दृष्टि इक लेकर दुख सब दूर बहाया।। (प्रेमबिलास-शब्द-107,पृ.सं.156)
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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*राधास्वामी!! 30-4 -2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे -(123 )
जो लोग अंतरी शब्द की निस्बत शंका करते हैं दरअसल अंतरी शब्द की असलियत से नावाकिफ है। संसार में दो चीजें हैं- जड़ प्रकृति यानी माद्दा और शक्ति यानी कुव्वत। और शक्ति के दो स्वरुप है- गुप्त और प्रकट। जब शक्ति गुप्त है तो अरुप व अनाम है और जब शक्ति प्रकट होती है तो पहले उसके भंडार यानी मखजन में क्षोभ या हिलोर पैदा होती है और फिर शक्ति की धारे बाहर फैलती है।
चेतन शक्ति का यह क्षोभ व धार रुप ही राधास्वामीमत में निज शब्द कहलाता है। इस शब्द से संबंध कायम करने के लिए मुनासिब दर्जे की सुक्ष्मता व पवित्रता प्राप्त करनी होती है और इससे से संबंध कायम होने पर मनुष्य की सुरत आप से आप शरीर व मन की कैदो से आजाद होकर उसके प्रकट होने के स्थान से जा मिलती है क्योंकि यह शब्द परम आकर्षक व परम समर्थ है।
इस निज शब्द की अगर इंसानी बोली में नकल उतारी जावे तो धार का शब्द राधा और क्षोभ का शब्द स्वामी बनता है और इसलिए राधास्वामी शब्द सच्चे मालिक का नाम बयान किया जाता है ।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय
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