प्रस्तुति - रीना शरण /अमी शरण
*हे मेरे मालिक सब ठीक करो,*
*अब मुझको दयालबाग आना है।*
*करनी है दो बातें तुमसे,*
*अब फिर से दर्शन पाना है।।**
जो हालात हुए हैं जग के,
ये ना किसी ने सोचा होगा।
मौत के इस अजीब से डर ने
ना जीवन को नोचा होगा।।
आ के इसको ख़तम करो अब,
वचन ये तुमको निभाना है।
*है मेरे मालिक सब ठीक करो,*
*अब मुझको दयालबाग आना है।*
हे मालिक आपकी प्यारी सूरत
मुझे याद बड़ा ही आती है।
तुमसे मिलने की चाह मालिक
रह रह कर दिल को तड़पाती है।।
नम हैं आंखें दिल है सूना,
ऐसे ना अब चल पाना है।
*हे मेरे मालिक सब ठीक करो,*
*अब मुझको दयालबाग आना है।*
ना सोचा था सपने में भी
ऐसे दिन भी आयेंगे।
नगरी सूनी होंगी तेरी,
सब घरों में बंध जाएंगे।
बिनती हमारी यही मालिक
अब इस बंधन से भी छुड़वाना है।
*हे मेरे मालिक सब ठीक करो,*
*अब मुझको दयालबाग आना है।*
ऐसी कौन सी चीज़ है जिसका
पास तुम्हारे इलाज नहीं।
छेड़ा हमने ही कुदरत को,
आयी हमें भी लाज नहीं।
ये गलती हमारी क्षमा करो
इस बिगड़ी को तुम्हे बनाना है।
*हे मेरे मालिक सब ठीक करो,*
*अब मुझको दयालबाग
आना है।*
🌸🙏 *राघास्वामी* 🙏🌸
(मालिक के चरणों मे छोटी सी प्रार्थना की हे)
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