Friday, April 17, 2020

शाम का सत्संग पाठ और बचन




[: **राधास्वामी!!  17-04-2020-
                 
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                                                                          (1) प्रेमी स्रुत उमँग उमँग, गुरु सन्मुख आई।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-4,पृ.सं.224)                                                         
(2) अजब जहाँ के बीच काल ने जाल बाछाया अपना है। अंग अंग से बँधे जीव सब छुटन भयि अति कठिना है।। (प्रेमबिलास-शब्द-100,पृ.सं143)                                                                                                   
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा कल से आगे।                                                     
🙏🏻राधास्वामी**🙏🏻           

                                         .

**राधास्वामी!!       
                            

 17-04 -2020- 

                               
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे

-(110 )

 राधास्वामी मत में इस बात पर बहुत जोर दिया जाता है कि मनुष्य शरीर बड़ा दुर्लभ और बेशकीमती है और बड़े भाग्य से प्राप्त होता है।
वजह यह है कि इस शरीर की मार्फत अगर जीव चाहे तो नीचे से नीचे दर्जे में उतर कर सकता है और अगर चाहे तो ऊंचे से ऊंचे मुकाम पर पहुंच सकता है यानी उसके लिए मौका है कि चाहे पशु, पक्षी, वनस्पति वगैरह योनियों  से हो कर जड़ खान में उतर जाए या देवता, हंस, परमहंस की गति प्राप्त करके सच्चे मालिक से मिलकर तदरूप हो जाए।

ऐसा दुर्लभ और बेशकीमती शरीर पाकर अगर लोग उससे सिर्फ हैवानी ख्वाहिशे पूरी करने का काम ले तो यह ऐसा ही है जैसे कि कोई हीरे जवाहरात या पारस पत्थर से तेल तौलने का काम ले।

हर मनुष्य को चाहिए कि अपने शरीर का मुनासिब इस्तेमाल करके ऊंची से ऊंची रूहानी गति हासिल करें । मनुष्य जन्म सफल करने का यही तरीका है।।

               
  🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
                            
 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा**

: **राधास्वामी!!       
                             
17-04 -2020-       
                          

 आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(110 ) राधास्वामी मत में इस बात पर बहुत जोर दिया जाता है कि मनुष्य शरीर बड़ा दुर्लभ और बेशकीमती है और बड़े भाग्य से प्राप्त होता है। वजह यह है कि इस शरीर की मार्फत अगर जीव चाहे तो नीचे से नीचे दर्जे में उतर कर सकता है और अगर चाहे तो ऊंचे से ऊंचे मुकाम पर पहुंच सकता है यानी उसके लिए मौका है कि चाहे पशु, पक्षी, वनस्पति वगैरह योनियों  से हो कर जड़ खान में उतर जाए या देवता, हंस, परमहंस की गति प्राप्त करके सच्चे मालिक से मिलकर तदरूप हो जाए। ऐसा दुर्लभ और बेशकीमती शरीर पाकर अगर लोग उससे सिर्फ हैवानी ख्वाहिशे पूरी करने का काम ले तो यह ऐसा ही है जैसे कि कोई हीरे जवाहरात या पारस पत्थर से तेल तौलने का काम ले।  हर मनुष्य को चाहिए कि अपने शरीर का मुनासिब इस्तेमाल करके ऊंची से ऊंची रूहानी गति हासिल करें । मनुष्य जन्म सफल करने का यही तरीका है।।                 


 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻                                 सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा**

राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी
राधास्वामी सहाय।



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