**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र- भाग-1-( 18) -【 जो लोग कि सिवाय संत मत के अभ्यास के और और काम कर रहे है,उनको क्या फायदा होगा?】-(1) जो परमार्थी की कार्यवाही आजकल दुनिया में जारी है वह या तो (१) कर्मकांड या दान पुण्य (२) तीरथ और मूरत और निशानों की पूजा (३) ब्रत (४) नाम का जाप (५) हट योग (६) प्राणायाम (७) ध्यान (८) मुद्रा की साधना (९) वाचक ज्ञान (१०) या पोथी और ग्रंथ का पाठ करना और मन से अस्तुति गाना और प्रार्थना करना वगैरह है। इन साधनों से संतों के बचध के मुआफिअ जीव के सच्चे उद्धार के सूरत नजर नहीं आती, क्योंकि इन कामों में मालिक के चरणो का प्रेम और उसके दर्शन की चाह बिल्कुल नहीं पाई जाती। अब हर एक का हाल थोड़ा सा लिखा जाता है।। (१)-【 कर्मकांड और दान पुण्य 】-जो जीव इध कामों में बरत रहे हैं, चाहे जिस मत में होवें, उनका मतलब इन कामों के करने से या तो इस दुनियाँ के सुख और मान बड़ाई, धन और संतान की प्राप्ति और वृद्धि का है या बाद मरने के स्वर्ग या बैकुंठ या बहिश्त में सुख भोगने का। इनके मत में ना तो सच्चे मालिक का खोज और पता है उसके मिलने की जुगत का जिक्र है। जितने काम कि यह लोग करते हैं सब बाहरमुखी हैं और उनका सिलसिला अंतर में सूरत और शब्द की धार के साथ बिल्कुल नहीं। इस सबब से इन कामों में जीव का सच्चा उद्धार नहीं हो सकता। क्रमशः🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
Sunday, April 19, 2020
प्रेमपत्र भाग- एक
**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र- भाग-1-( 18) -【 जो लोग कि सिवाय संत मत के अभ्यास के और और काम कर रहे है,उनको क्या फायदा होगा?】-(1) जो परमार्थी की कार्यवाही आजकल दुनिया में जारी है वह या तो (१) कर्मकांड या दान पुण्य (२) तीरथ और मूरत और निशानों की पूजा (३) ब्रत (४) नाम का जाप (५) हट योग (६) प्राणायाम (७) ध्यान (८) मुद्रा की साधना (९) वाचक ज्ञान (१०) या पोथी और ग्रंथ का पाठ करना और मन से अस्तुति गाना और प्रार्थना करना वगैरह है। इन साधनों से संतों के बचध के मुआफिअ जीव के सच्चे उद्धार के सूरत नजर नहीं आती, क्योंकि इन कामों में मालिक के चरणो का प्रेम और उसके दर्शन की चाह बिल्कुल नहीं पाई जाती। अब हर एक का हाल थोड़ा सा लिखा जाता है।। (१)-【 कर्मकांड और दान पुण्य 】-जो जीव इध कामों में बरत रहे हैं, चाहे जिस मत में होवें, उनका मतलब इन कामों के करने से या तो इस दुनियाँ के सुख और मान बड़ाई, धन और संतान की प्राप्ति और वृद्धि का है या बाद मरने के स्वर्ग या बैकुंठ या बहिश्त में सुख भोगने का। इनके मत में ना तो सच्चे मालिक का खोज और पता है उसके मिलने की जुगत का जिक्र है। जितने काम कि यह लोग करते हैं सब बाहरमुखी हैं और उनका सिलसिला अंतर में सूरत और शब्द की धार के साथ बिल्कुल नहीं। इस सबब से इन कामों में जीव का सच्चा उद्धार नहीं हो सकता। क्रमशः🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
पूज्य हुज़ूर का निर्देश
कल 8-1-22 की शाम को खेतों के बाद जब Gracious Huzur, गाड़ी में बैठ कर performance statistics देख रहे थे, तो फरमाया कि maximum attendance सा...
-
Radha Soami From Wikipedia, the free encyclopedia This article is about the Radha Soami Satsang (Radha Swami Satsang). For Radha Swa...
-
संत काव्य : परंपरा एवं प्रवृत्तियां / विशेषताएं ( Sant Kavya : Parampara Evam Pravrittiyan / Visheshtayen ) हिंदी साहित्य का इतिहास मुख्...
-
कल 8-1-22 की शाम को खेतों के बाद जब Gracious Huzur, गाड़ी में बैठ कर performance statistics देख रहे थे, तो फरमाया कि maximum attendance सा...
No comments:
Post a Comment